Meaning of काल्पनिक in English
- of Contrive
- Abounding in dreams or given to dreaming; appropriate to, or like, dreams; visionary.
- Full of fancy; guided by fancy, rather than by reason and experience; whimsical; as, a fanciful man forms visionary projects.
- Conceived in the fancy; not consistent with facts or reason; abounding in ideal qualities or figures; as, a fanciful scheme; a fanciful theory.
- Curiously shaped or constructed; as, she wore a fanciful headdress.
- Fictitious.
- Feigned; imaginary; not real; fabulous; counterfeit; false; not genuine; as, fictitious fame.
- Characterized by, or of the nature of, an hypothesis; conditional; assumed without proof, for the purpose of reasoning and deducing proof, or of accounting for some fact or phenomenon.
- Existing only in imagination or fancy; not real; fancied; visionary; ideal.
- An imaginary expression or quantity.
- Consisting of, or conveying, notions or ideas; expressing abstract conceptions.
- Existing in idea only; visionary; whimsical.
- Given to foolish or visionary expectations; whimsical; fanciful; as, a notional man.
- Pertaining to, of the nature of, or resembling, a phantasm; spectral; illusive.
- Given to speculation; contemplative.
- Involving, or formed by, speculation; ideal; theoretical; not established by demonstration.
- Of or pertaining to vision; also, prying; inquisitive; curious.
- Of or pertaining to speculation in land, goods, shares, etc.; as, a speculative dealer or enterprise.
- Of or pertaining to Utopia; resembling Utopia; hence, ideal; chimerical; fanciful; founded upon, or involving, imaginary perfections; as, Utopian projects; Utopian happiness.
- An inhabitant of Utopia; hence, one who believes in the perfectibility of human society; a visionary; an idealist; an optimist.
- Merely imaginary; fanciful; fantastic; wildly or vainly conceived; having, or capable of having, no existence except in thought; as, chimerical projects.
- Alt. of Chymistry
- One who studies the daily motions and positions of the planets.
- One who keeps an ephemeris; a journalist.
- Epic.
- Made by art, in distinction from what is produced by nature; artificial; sham; formed by, or adapted to, an artificial or conventional, in distinction from a natural, standard or rule; not natural; as, factitious cinnabar or jewels; a factitious taste.
- A falsifier of evidence.
- Having no fancy; without ideas or imagination.
- of Fancy
- Having power to foretell future events; prophetic; fatiloquent; as, the fatidical oak.
- Capable of being defended, or of making or affording defense.
- A soldier enlisted for home service only; -- usually in the pl.
- Molded, or capable of being molded, into form by art; relating to pottery or to molding in any soft material.
- Pertaining to, or characterized by, fiction; fictitious; romantic.
- A writer of fiction.
- Feigned; counterfeit.
- Full of fiendish spirit or arts.
- Belonging to the Filices, r ferns.
- Pertaining to, or derived from, ferns; as, filicic acid.
- Fringed; jagged; fimbriate.
- fringed, on one side only, by long, straight hairs, as the antennae of certain insects.
- Relating to friction; moved by friction; produced by friction; as, frictional electricity.
- Alt. of Hypothetical
- Capable of being imagined; conceivable.
- Characterized by imagination; imaginative; also, given to the use or rhetorical figures or imagins.
- Of or pertaining to an imago.
- Imagining; conceiving.
- An imaginer.
- Pertaining to, involving, or caused by, imagination.
- Proceeding from, and characterized by, the imagination, generally in the highest sense of the word.
- Given to imagining; full of images, fancies, etc.; having a quick imagination; conceptive; creative.
- Unreasonably suspicious; jealous.
- One who forms ideas or conceptions; one who contrives.
- Imaginative.
- Having a large brain.
- Of or pertaining to a peristome.
- of Prig
- Of or pertaining to the rictus; as, rictal bristles.
- Of or pertaining to truisms; consisting of truisms.
Meaning of काल्पनिक in English
English usage of काल्पनिक
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- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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- यह एक गांव ग्रामीण का प्रेम कथा है ।
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