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कुँवारे नाना जी

4 October 2024

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कमल ने शिशु की तरफ इशारा करते हुए नेहा से कहा,‘‘क्या मैं इसकी फोटो खींच लूँ।‘‘

नेहा ने हामी भरते हुए व शिशु के कपड़ों को सही करते हुए कहा,‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आप खींच लीजिए फोटो।‘‘


कमल ने फोटो खींचने के लिए मोबाइल फोन का कैमरा चालू किया परन्तु शिशु के पास रोशनी पर्याप्त न होने के कारण उसकी छवि स्पष्ट व साफ नहीं दिख रही थी। तो कमल ने कहा,‘‘साफ नहीं दिख रहा है। और इस नन्हे बच्चे के आँखों पर मैं मोबाइल फोन का फ्लैश भी चालू नहीं कर सकता।‘‘

अपने मोबाइल का फ्लैश शिशु के बगल में जलाते हुए नेहा ने कहा,‘‘अब फोटो खींच लीजिये।‘‘


जैसे ही कमल ने फोटो खींचने के लिए कैमरे के बटन को क्लिक करने के लिए उँगली बढ़ाई तभी मुनरी की नजर पड़ गयी और बोल पड़ी,‘‘नेहा! अभी किसी को भी फोटो मत खींचने दो। इसका बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।‘‘


मुनरी की बात सुनकर कमल रुक गया। और अपने आप को समझते हुए व माहौल को खुशनुमा बनाने का प्रयास करते हुए अपने सेल फोन में मौजूद पहले से ही किसी अन्य बच्चे की तस्वीर दिखाकर मुस्कुराते हुए कहा,‘‘वाह! यह देखो बच्चे की कितनी सुन्दर तस्वीर आयी है।‘‘

यह देख नेहा हँस पड़ी। फिर उसने कमल से कहा,‘‘आप बाद में जब हमारे घर आइयेगा तो इसकी फोटो खींच लीजियेगा।‘‘

-‘‘अच्छा ठीक है, जब मैं घर पर आऊँगा तब फोटो खींच लूँगा।‘‘

नाती के माथे पर वात्सल्य का चुम्बन देकर कुँवारे नाना जी कमरे के बाहर चले गये। 

क्रमशः आगे...8

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कुँवारे नाना जी
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यह कहानी एक नवयुवक, कमल की है जो कुँवारे रहते हुए रिश्ते से नाना जी बन जाता है! कमल के ह्रदय और मन में उठने वाले मनोभावों को प्रस्तुत किया गया है! तथा उसके प्रति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार को भी दर्शाया गया है! इसके साथ ही कुछ परम्सापराओं व सामाजिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है !
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शाम का समय था। कमल अपने कमरे में आराम कुर्सी पर आराम करने बैठा ही था कि थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर एक कार आकर रुकी। कार से लगातार हॉर्न की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर कमल कार की तरफ आकर्षित हुआ तो पता चला

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अस्पताल के गेट के सामने उनकी कार रुकी और वे लोग अपने साथ लाये कुछ खाने-पीने का सामान लेकर वार्ड की तरफ चल दिये। तभी वार्ड के सामने खड़े शंकर की निगाह कमल पर पड़ी। कमल ख्यालों में खोये हुए आगे बढ़ता जा र

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कमरे में मरीजों के कई बिस्तर लगे हुए थे। और उनके परिजन आ-जा रहे थे। प्रवेश करते ही सामने वाले बिस्तर पर नेहा अपने नवजात शिशु के साथ बैठी फूलमती से बातें कर रही थी। बिस्तर के पास ही फर्श पर चटाई बिछाकर

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इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है

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कमल ने प्रीतम का हाथ नीचे करते हुए कहा,‘‘प्रीतम जी, आप क्यों चिंतित हो रहे हैं? बुढ़ापा तो मेरा आ गया है क्योंकि मैं नाना बन गया हूँ। अभी तो आप पिता ही बने हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। अभी आप न

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कमरे में कड़कती हुई आवाज के साथ अस्पताल में काम करने वाली मुनरी का प्रवेश हुआ। उसने कमरे के अन्दर आते ही सबको डाँटना-फटकारना शुरू कर दिया। खाना खाते हुए लोगों से उसने कहा,‘‘आप लोग कमरे के बाहर चले जाइय

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कमल ने शिशु की तरफ इशारा करते हुए नेहा से कहा,‘‘क्या मैं इसकी फोटो खींच लूँ।‘‘ नेहा ने हामी भरते हुए व शिशु के कपड़ों को सही करते हुए कहा,‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आप खींच लीजिए फोटो।‘‘ कमल ने फोटो खी

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रात के लगभग आठ बज चुके थे। हर्ष ने बताया,‘‘डॉक्टर साहब नेहा को कल सुबह अस्पताल से छुट्टी देंगे। इसलिए आज रातभर यहाँ रुकना पड़ेगा।‘‘ फिर आगे अपनी कुछ नाराजगी जताते हुए कहा,‘‘एक तो यहाँ दिन भर में दो वक्

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अपने बगल में आगे की सीट पर बैठे हुए कमल से आनन्द ने कहा,‘‘आपका शहर ठीक नहीं है। यहाँ की सड़कें बहुत खराब हैं। जहाँ देखिये वहाँ सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि सड़क पर गड्ढे नहीं बल्

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