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कुँवारे नाना जी

4 October 2024

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कमरे में कड़कती हुई आवाज के साथ अस्पताल में काम करने वाली मुनरी का प्रवेश हुआ। उसने कमरे के अन्दर आते ही सबको डाँटना-फटकारना शुरू कर दिया। खाना खाते हुए लोगों से उसने कहा,‘‘आप लोग कमरे के बाहर चले जाइये और बाहर जाकर खाना खाइये या फिर कहिये तो सभी मरीज महिलाओं को ही बाहर कर दें और आप अन्दर बैठकर ही खाना खा लीजिए। आप लोगों को जरा भी समझ नहीं है कि यहाँ साफ-सफाई रहनी चाहिए।  यहाँ अभी नवजात शिशु हैं कहीं उनको किसी तरह का इन्फेक्शन हो गया तो आप क्या करेंगे। आप सबकी भलाई के लिए ही ये बातें कह रही हूँ।‘‘

तभी उसकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो मरीज के बिस्तर पर ही बैठकर भोजन कर रहा था। उस व्यक्ति को देख मुनरी क्रुद्ध होकर बोलने लगी,‘‘आप पढ़े-लिखे नहीं हैं क्या?‘‘

व्यक्ति ने जवाब दिया,‘‘नहीं, आप मुझे पढ़ा दीजिए।‘‘

मुनरी ने उस व्यक्ति की बातों को अनसुना करते हुए आगे कहा,‘‘जरा भी अकल नहीं है इनके पास। अभी जब रात को डरावने सपने आने लगेंगे, सपने में भूत-पिशाच दिखने लगेंगे तो आप परेशान हो जायेंगे। आपको इतना भी ज्ञान नहीं है कि बिस्तर पर भोजन करने से रात को सपने में भूत-पिशाच के डरावने सपने आते हैं।‘‘

बात का समर्थन करते हुए फूलमती ने कहा,‘‘हाँ जी, आप सही कह रही हैं। यह सही बात है कि ऐसा करने से रात में डरावने स्वप्न आते हैं।‘‘


कमरे में ही दूसरी तरफ एक और व्यक्ति भी अपने मरीज के ही बिस्तर पर भोजन कर रहा था। लेकिन वह वहाँ खड़े कुछ लोगों की वजह से तथा चेहरा दीवार की तरफ किया हुआ था इसलिए वह मुनरी को भोजन करते हुए नजर नहीं आया। पर यह घटना नेहा देख रही थी। क्योंकि वह उसके बगल वाले ही बिस्तर पर थी।


नेहा ने उस व्यक्ति के तरफ इशारा करते हुए मुनरी से कहा,‘‘यहाँ देखिए। आपने तो इनको देखा ही नहीं। यह पीछे छिपकर बिस्तर पर ही भोजन कर रहे हैं।‘‘

यह सुन सबका ध्यान उस छुपे हुए व्यक्ति की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित हो गया। लोग यह दृश्य देख ठहाके मारकर हँसने लगे। परन्तु मुनरी का क्रोध सातवें आसमान पर चढ़ गया।


मुनरी ने तमतमाते हुए कहा,‘‘ये इंसान बिल्कुल बेशर्म इंसान हो गया है। इतना सब कुछ कहने के बावजूद भी इसको शर्म नहीं आ रही है।‘‘

 ध्यान आकर्षित करते हुए मीरा ने मुनरी से कहा,‘‘आप तो सुशीला के गाँव की हैं न?‘‘

-‘‘कौन सुशीला?‘‘

-‘‘अरे वही जो इसी अस्पताल में काम करती हैं, जिनका घर यहीं शहर के पास वाले गाँव में है।‘‘

-‘‘अच्छा, दीदी! तो आप उस सुशीला की बात कर रही हैं। हाँ, उनका घर तो शहर के पास वाले ही गाँव में है। लेकिन मेरा घर शहर से दूर नदी के पार जो गाँव है न, वहाँ है।‘‘


मीरा से कुछ और भी बातें करने के बाद मुनरी अपनी ड्यूटी निभाते हुए कमरे में मौजूद मरीज महिलाओं के अतिरिक्त सभी लोगों को कमरे से बाहर जाने के लिए कहने लगी। सभी लोग धीरे-धीरे कमरे से बाहर जाने लगे। तभी कमल ने सोच कि क्यों न इस मनमोहक नवजात शिशु की छवि को अपने सेल फोन में कैद कर लूँ।

क्रमशः आगे...7

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कुँवारे नाना जी
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यह कहानी एक नवयुवक, कमल की है जो कुँवारे रहते हुए रिश्ते से नाना जी बन जाता है! कमल के ह्रदय और मन में उठने वाले मनोभावों को प्रस्तुत किया गया है! तथा उसके प्रति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार को भी दर्शाया गया है! इसके साथ ही कुछ परम्सापराओं व सामाजिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है !
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शाम का समय था। कमल अपने कमरे में आराम कुर्सी पर आराम करने बैठा ही था कि थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर एक कार आकर रुकी। कार से लगातार हॉर्न की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर कमल कार की तरफ आकर्षित हुआ तो पता चला

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अस्पताल के गेट के सामने उनकी कार रुकी और वे लोग अपने साथ लाये कुछ खाने-पीने का सामान लेकर वार्ड की तरफ चल दिये। तभी वार्ड के सामने खड़े शंकर की निगाह कमल पर पड़ी। कमल ख्यालों में खोये हुए आगे बढ़ता जा र

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कमरे में मरीजों के कई बिस्तर लगे हुए थे। और उनके परिजन आ-जा रहे थे। प्रवेश करते ही सामने वाले बिस्तर पर नेहा अपने नवजात शिशु के साथ बैठी फूलमती से बातें कर रही थी। बिस्तर के पास ही फर्श पर चटाई बिछाकर

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इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है

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कमल ने प्रीतम का हाथ नीचे करते हुए कहा,‘‘प्रीतम जी, आप क्यों चिंतित हो रहे हैं? बुढ़ापा तो मेरा आ गया है क्योंकि मैं नाना बन गया हूँ। अभी तो आप पिता ही बने हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। अभी आप न

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कमल ने शिशु की तरफ इशारा करते हुए नेहा से कहा,‘‘क्या मैं इसकी फोटो खींच लूँ।‘‘ नेहा ने हामी भरते हुए व शिशु के कपड़ों को सही करते हुए कहा,‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आप खींच लीजिए फोटो।‘‘ कमल ने फोटो खी

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रात के लगभग आठ बज चुके थे। हर्ष ने बताया,‘‘डॉक्टर साहब नेहा को कल सुबह अस्पताल से छुट्टी देंगे। इसलिए आज रातभर यहाँ रुकना पड़ेगा।‘‘ फिर आगे अपनी कुछ नाराजगी जताते हुए कहा,‘‘एक तो यहाँ दिन भर में दो वक्

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अपने बगल में आगे की सीट पर बैठे हुए कमल से आनन्द ने कहा,‘‘आपका शहर ठीक नहीं है। यहाँ की सड़कें बहुत खराब हैं। जहाँ देखिये वहाँ सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि सड़क पर गड्ढे नहीं बल्

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