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कुँवारे नाना जी

4 October 2024

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इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है और उसे एक बार देखने के बाद फिर से अपनी आँखों को बन्द कर ले रहा है। जैसे लगता है कि यह रील वाला कैमरा हो गया है जो परफेक्ट शॉट तैयार होने पर ही लोगों की तस्वीर लेकर शान्त हो जा रहा है कि कहीं रील जल्दी से भर न जाये। वैसे लगता है कि यह अपने कुँवारे नाना जी को पहचान गया है।‘‘

कमल शिशु की छवि को देखकर मोहित हो गया था। वह शिशु के प्रति वात्सल्यता को प्रदर्शित करना चाहता था। बच्चे को गोद में लेने के लिए उसने अपनी बाहों को आगे बढ़ाया तो मीरा ने उसे बच्चा दे दिया।

यह कमल का पहला अनुभव था कि उसने किसी नवजात शिशु को अपनी गोद में लिया था और वात्सल्य प्रेम कर रहा था। इसके पहले उसने कभी भी इतने कम समय के शिशु को गोद में नहीं लिया था। बच्चे की नाजुकता को भाँपते हुए उसने अपने बाहों को ढीला कर दिया परन्तु उसे ऐसी अनुभूति हुई कि उसके हाथ बेजान हो गये हैं जिससे कि उसके हाथ काँपने लगे। बच्चे को कहीं कुछ हो गया तो अनर्थ हो जायेगा। बच्चा स्वस्थ व सुरक्षित रहे इस बात का आशीष देते हुए कमल बच्चे को मीरा की गोद में दे दिया। फिर मीरा ने बच्चे को लेकर उसे उसकी माँ के पास बिस्तर पर लेटा दिया।

नेहा ने कमल से पूछा,‘‘चाचाजी, आपको अपने नाती को देखकर कैसा लगा?‘‘

कमल ने उत्तर देते हुए कहा,‘‘जब मैंने अपने नाती को देखा और लोग मुझे नानाजी कहने लगे। अपने लिये नानाजी शब्द सुनकर तो नवयुवक रहते हुए भी बुढ़ापे वाली फीलिंग आने लगी है।‘‘

यह सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोग खिलखिलाकर हँसने लगे। तभी प्रीतम अपना हाथ सिर पर रख लिया।

क्रमशः आगे...5

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कुँवारे नाना जी
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यह कहानी एक नवयुवक, कमल की है जो कुँवारे रहते हुए रिश्ते से नाना जी बन जाता है! कमल के ह्रदय और मन में उठने वाले मनोभावों को प्रस्तुत किया गया है! तथा उसके प्रति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार को भी दर्शाया गया है! इसके साथ ही कुछ परम्सापराओं व सामाजिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है !
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शाम का समय था। कमल अपने कमरे में आराम कुर्सी पर आराम करने बैठा ही था कि थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर एक कार आकर रुकी। कार से लगातार हॉर्न की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर कमल कार की तरफ आकर्षित हुआ तो पता चला

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अस्पताल के गेट के सामने उनकी कार रुकी और वे लोग अपने साथ लाये कुछ खाने-पीने का सामान लेकर वार्ड की तरफ चल दिये। तभी वार्ड के सामने खड़े शंकर की निगाह कमल पर पड़ी। कमल ख्यालों में खोये हुए आगे बढ़ता जा र

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कमरे में मरीजों के कई बिस्तर लगे हुए थे। और उनके परिजन आ-जा रहे थे। प्रवेश करते ही सामने वाले बिस्तर पर नेहा अपने नवजात शिशु के साथ बैठी फूलमती से बातें कर रही थी। बिस्तर के पास ही फर्श पर चटाई बिछाकर

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इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है

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कमल ने प्रीतम का हाथ नीचे करते हुए कहा,‘‘प्रीतम जी, आप क्यों चिंतित हो रहे हैं? बुढ़ापा तो मेरा आ गया है क्योंकि मैं नाना बन गया हूँ। अभी तो आप पिता ही बने हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। अभी आप न

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कमरे में कड़कती हुई आवाज के साथ अस्पताल में काम करने वाली मुनरी का प्रवेश हुआ। उसने कमरे के अन्दर आते ही सबको डाँटना-फटकारना शुरू कर दिया। खाना खाते हुए लोगों से उसने कहा,‘‘आप लोग कमरे के बाहर चले जाइय

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कमल ने शिशु की तरफ इशारा करते हुए नेहा से कहा,‘‘क्या मैं इसकी फोटो खींच लूँ।‘‘ नेहा ने हामी भरते हुए व शिशु के कपड़ों को सही करते हुए कहा,‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आप खींच लीजिए फोटो।‘‘ कमल ने फोटो खी

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रात के लगभग आठ बज चुके थे। हर्ष ने बताया,‘‘डॉक्टर साहब नेहा को कल सुबह अस्पताल से छुट्टी देंगे। इसलिए आज रातभर यहाँ रुकना पड़ेगा।‘‘ फिर आगे अपनी कुछ नाराजगी जताते हुए कहा,‘‘एक तो यहाँ दिन भर में दो वक्

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अपने बगल में आगे की सीट पर बैठे हुए कमल से आनन्द ने कहा,‘‘आपका शहर ठीक नहीं है। यहाँ की सड़कें बहुत खराब हैं। जहाँ देखिये वहाँ सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि सड़क पर गड्ढे नहीं बल्

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