सोमांकित―एक अटूट प्रेम (भाग-1)
सर्दी की वो रात जब बैठे-बैठे भोर हो गयी।
सोच बस यही की– "आखिर कौन है वो"।
पेड़ों पर बैठे विहग के तरह उनको निहारते ही रहे जब उनकी पहली तस्वीर मेरे नैनों के सामने आई। नीली साड़ी में अपने होठों पर प्यारी से मुस्कान के साथ मेरी ....... ने मुझे अपनी पहली झलक दीं। सादगी की प्रकृति को सँवारते हुए उनकी नैनों ने कई बातें खुद में समेटे हुए मानो कुछ कह रही है हमसे।
1135 किलोमीटर की दूरियाँ तो थीं लेकिन तस्वीर की ही ऐसी नजरें आ मिली कि मानो पता नही कितने करीब हो दोनों। वो खुले रेशमी बाल,नटखट सी नजरें बिखेरती हुईं आँखे जिससे नजर हटाते नही हटतीं,मन में बुदबुदाते हुए होठों ने बिना बोले ही कई बातें कह दी थीं।
कैसे भूल जाऊँ जब उन्होंने अपने झूठे गुस्से से मुझे डाँटा और प्यार भी छिपा ली!! वो बोलती रही मैं सुनता रहा-सुनता रहा फिर खुद ही छिपी आँशुओ को पलको तले दबाके मुझे प्यार की आलिंगन दी तब रो पड़ा। लड़का हूँ न! तो दिखाया नही। समय बिता तो कुछ ने सताया उनकी ही बुराई करके! खूब जल गया और प्यार के पड़ को खोल दिया। जलन ही चीखने लगी व प्यार की तस्वीर बनने लगी और आयी मुख पर मीठी मुस्कान जब बुराई को ही अपनी काबिलियत बता दी उन्होंने।
पता है बोला तो नही! लेकिन रो पड़ा–खूब रोया दिल में एक ही बात लेकर की उस आँचल की क्या कहूँ जो
"सूरज से जलकर भी नीचे को शीतल दे,
अँगारे पिलाने वाले को भी वो जल दे।
दुनिया वाले करते रह गए लाख उनकी बुराई,
पर मनाती वो ईश्वर से भगवान सबकी भविष्य उज्ज्वल दे।।"
अब ज्यादा बोला न तो फिर रो परूँगा। सिर्फ इतना ही बोल पाउँगा ―love you unlimited☺️💐❤️
✍️ankit kumar sharma