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रख काबू में अपनी जीवा कोयह डरपोको का दौर हैक्यों पसरा चारों ओर सन्नाटाक्यों खामोशी का शोर हैलगता है आजादी कमजोर हैक्यों चुप हैतुझ में भी बैठा क्या चोर है?