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रहस्य

9 May 2022

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मैंने चुना था उपयोग करना
उस भयावह अन्त का भी
मैंने कलम उठाई थी कि
वास्तविकतायें प्रदर्शित हो
प्रेम की
ईश्वर को नकारने की
डर से स्वीकारने की
सच को ढ़ोने की
झूठ को स्वीकारने की
बदलते चेहरों की
व्यक्त होती झूठी संवेदनायें
मैं कवि नहीं 
हाँ भाषा तो सीखी
जो माँ ने सिखायी
जो गुरु ने सिखायी
अब वो याद नहीं....


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