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रिश्तों की बुनाई में यूं उलझता गया हूं मैं,तिनका तिनका बिखरता गया हूं मैं।एक तेरा ही इंतज़ार है दिल किसी कोने में ,तू आजा के तसल्ली हो खुद के होने में ।।