मेरी रानी बड़ी सयानी,
आज सुनेगी एक कहानी।
फिर निंदिया आ जाएगी।।
चंदा-मामा और सितारे
आसमान में लगते प्यारे
ध्रुवतारे की बात अलग है
सबके तो जज़्बात अलग हैं
सबकी होती अपनी बानी
मेरी रानी......
आज सुनेगी....
दिन में सूरज लगता प्यारा
चलता है संसार हमारा
सब अपने हैं जीवन जीते
रहते नहीं हैं आँगन रीते
इसका नहीं है कोई सानी
मेरी रानी......
आज सुनेगी....
नदिया, पोखर,नहर,समंदर
अपने घर के सभी कलंदर
पौधों की है बात निराली
बिन इनके धरती हो खाली
याद करा दें सबकी नानी
मेरी रानी......
आज सुनेगी....
पर्वत,घाटी,झरना,सागर
जंगल,मरुथल,माटी,गागर
रात-दिवस का अनुपम फेरा
और अनंत का अद्भुत घेरा
मानव भी फिर मांगे पानी
मेरी रानी......
आज सुनेगी....
सागर में इक बूँद बराबर
चादर में इक सूत बराबर
जान गया पर सब ना जाना
फिर लगता सबकुछ पहचाना
सीना तान रहा अज्ञानी
मेरी रानी......
आज सुनेगी....