पापा आप कहां है ??? मुझे आप से कुछ बात करनी है लड़की ने कहा ।।मैं यहां हूं बेटा”उस सख्स ने कहा ।।
लड़की उस सख्स के पास उस कमरे में गई । पापा.....मुझे आप से इशान के बारे में कुछ बात करनी है" लड़की ने कहा ।।
क्या हुआ इशान को??उस सक्स ने कहा"
उसे कुछ नहीं हुआ पर अब मुझे उसके साथ नही रहना है" लड़की ने कहा// पर क्यू?? सक्स ने कहा ।।
क्यू की बो अब मुझसे बात बात पर लढ़ता रहता है "लड़की ने कहा //आन्वी बेटा प्यार में ऐसा ही होता है लढाई होती है फिर भी उसमें प्यार होता है"सक्स ने कहा //जो भी हो पापा पर में अब उसके साथ नही रहूंगी" आन्वी ने कहा।। बेटा तुम अब बच्ची हो तो समझ नही पा रही हो पर,,,,
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पर क्या पापा??अन्वी ने पूछा।।
इन्सान को हमेशा उस चीज़ का कदर नहीं होता जो उसे बहत अजीज होती हैं। उसे तभी उसका खयाल आता है जब वो उसे दूर जाता है ,,,,, हमेशा के लिए। अब तुम्हारा प्यार तुम्हरे साथ है तो तुम उस से लढ़ रहे हो//छोड़ रहे हों!!
पर एक बार उस से दूर जा कर देखो ,,, जवाब तुम खुद ही ढूंढ लगे।।"कहते हुए उनकी आंखों में एक अनकही दर्द दस्तख दे रहा था।।
ये सब आपको कैसे पता"!! आन्वी ने पूछा ।। उसकी बात सुन बो दर्द में भी मुस्कुरा उठे और बोले,,,
बस मुझे पता है" सक्स ने कहा// क्या प्यार सच में इतना मुश्किल होता है?? आन्वी ने कहा।। मुस्किल उनके लिए होती है जिन्हे अपना प्यार ना मिलता हो.... जिसे मिल जाए बो तो खुसनाशीब होते हैं" सक्स ने कहा।।
हां चलो तुम्हे उस प्यार की एक दास्तां सुनाता हूं ,,,,, अन्वी के पिता ने कहा और अपनी अलमारी की तरफ चल पड़े!!
वो एक किताब लेकर आए थे।
किताब को देख कर लग रहा था जेसे वो बहत पुरानी हो।। उस किताब पर बहत सारी धूल जम गई थी ,,,,, उसके पिता ने धूल साफ किया और एक बार अपने हाथ में छू कर उसे महसूस करने लगे जैसे वो किताब न हो कर उनके महबूब हो।। उस किताब के ऊपर बड़े बड़े शब्दो में लिखा था " आखिर खत " । अन्वी के पिता ने उसे लेकर अपनी कुर्सी ओर आया और पढ़ना सुरु किया ।
तो बेटा ये कहानी है,,,
एक ऐसे लड़के की जो बोहोत दिल खुस किस्म का इन्सान था ।।अपने मैं ही मगन रहने वाला....
पर एक दिन उसे एक लड़की से प्यार हुआ जो की उसकी कोलेज में पढ़ती थी ,,,,, बो कोलेज में नई नई आई थी । बो लड़की बाकी सारी लड़कियों से बिलकुल अलग थी ,,,सबसे हटके ।
बो इतनी प्यारी थी की उसके सामने चांद भी शरमा जाए ,,, नैन नक्श सबमें बो बाकियों से बहत सुंदर थी । ।
जो लड़का कभी लड़कियों से सीधे मुंह बात तक नहीं करता था बो उस लड़की से बात करने के लिए बेकरार था ,,,, धीरे धीरे लड़के और लड़की में दोस्ती हुई एक दिन उस लड़के ने लड़की को अपने मन की बात बता दी ।।
बो अपनी एक पर को नीचे रख कर लड़की कहने लगा मिस सान्वी आई लव यू ,,,,, मैंने आज तक किसी को इस तरह से प्यार नही किया जैसे तुमसे करता हूं //आज तक क्या तुमसे ही पहली बार कर रहा हूं ,,,की तुम ही मेरा पहला और आखिर प्यार हो ।।
तो....मिस सान्बी गुप्ता !!"विल यू बी माय गर्लफ्रेंड!!! उस लड़के ने यानी आरब ने कहा// येस ***सान्वी ने कहा तो दोनों ने खुशी से एक दूसरे को गले लगाया । ऐसे ही कुछ दिन बीतते गए ।
कुछ दिनों के बाद ,,,
सांवी आज हमे मिलने जाने है!!! आरव ने कहा//
पर किससे ???सांवी ने कहा ।।
आज हमे हमारे घर जाना है,,, मैंने मम्मी को हमारे बारे मे बताया है ।बो तुमसे मिलना चाहती है तो आज हमे उनसे मिलने को जाना है।। आरब ने कहा।।
आज ,,,तुमने मुझे पहले क्यू नही बताया?? सान्वी ने कहा।।
पर क्यू?? आरव ने कहा ।।
पहले बताते तो में आज अच्छे से तेयार होकर आती ना !!सांवी ने कहा ।।
तुम्हे तेयार होने की कोई जरूरत नही है तुम ऐसे ही बहत सुंदर लग रही हो !!आरव ने कहा।।
बस बस मेरी इतनी भी तारीफ मत करो की में पागल ही हो जाऊं,,,, सान्वी ने कहा।।
अच्छा बाबा ठीक है अब चले ?!!आरब ने कहा//
हां सान्वी ने कहा और बो दोनो आरब के घर की तरफ़ जाने लगे । ।
शर्मा हाउस ,,,
आरव मुझे बहत ज्यादा डर लग रहा है"* सांवी ने कहा ।।
कुछ नहीं होगा डरो मत....मैं हूं ना तुम्हारे साथ!! आरव ने कहा और बो दोनो घर के अंदर चले गए ।।
मम्मी...मम्मी....कहां हो आप??? ,,, आई बेटा!! आरव की मम्मी यानी पायल जी ने कहा और बाहर आ गई । ।
मम्मी ये है सान्वी जिसके बारे मेंने आपको बताया था और सांवी ये है मेरी मम्मी मिसेस पायल शर्मा आरव ने कहा ।।
नमस्ते एंटी,,सांवी ने कहा ।।नमस्ते नमस्ते तुम खड़ी क्यू हो बेटा बैठो" पायल जी ने कहा तो सब सोफे पर बैठ गए । तो बेटा तुम्हारे घर में कोन कोन है पायल जी ने पूछा ।।
बस मै और मेरी मां"सांबी ने जवाब दिया।।
मां क्या करती है तुम्हारी?? पायल जी ने फिर पूछा !!
बो स्कूल में टीचर हैं ,,,सांबी ने जवाब दिया।। अच्छा ऐसा क्या,,,, पायल जी ने कहा ।।तुम दोनो यहीं रुको में कुछ खाने के लिए लाती हूं पायल जी ने कहा तो आरव ने धड़ाम से उठ कर कहा आप बात कीजिए में ले आता हूं । ।
आरव कुछ खाना लाने के लिए किचन की ओर चला गया । आरव के जाने के बाद पायल जी ने उनका असली रंग दिखाया बो लगातार सान्वी पर उसकी ओकात और स्टेट्स के बारे बोल चलाती गई ,,,, तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे बेटे से प्यार करने की!! तुम ठहरी गरीब और हम ठहरे इस सहर के सब से अमीरो में से एक !!तुमने सोच भी कैसे लिया की तुम हमारे घर की बहु बनोगी ,,,तुम पहले अपनी ओकात तो देखो..... पायल जी बस सांवी के ऊपर बरस पड़ रही थी!!
अचानक से आरव की किचन से आती हुई साउंड सुनाई देने लगी तो उन्होंने सानवी के हाथ जोर से पकड़ कर बोली अगर ये सब बात तुमने आरव को बताई कुछ अच्छा नही होगा ,,,
जी में कुछ नहीं बताऊंगी,,, सान्वी ने डरते हुए कहा ।।
आ गया तु बेटा.... हम तुम्हारी बात कर रहे थे पायल जी ने कहा कुछ इधर उधर की बातो के बाद सान्वी ने अचानक से बोला अब मुझे चलना चाहिए बोहोत ज्यादा देरी हो गई है ।।
ओके...तो चलो आरव ने कहा ।।
तुम रुको बेटा ड्राइवर उसे छोड़ देगा,,, पायल जी ने कहा।।
अच्छा ठीक है ....आरव ने कहा और ड्राइवर को बुलाकर सांवी को घर पोहोचाने को कह दिया ।।
सांवी वहां से जा चुकी थी अब वहां आरव और पायल जी थे । तो मम्मी सांवी आपको कैसी लगी?? आरव ने पूछा !!
सच बोलूं तो एकदम बेकार ,,,,तुम एसी लड़की से प्यार करने की सोच भी कैसे सकते हो!! उसके पास ना ही पैसा है ना खानदान तुम चले आए उससे शादी करने अगर तुमने उस लड़की को नही छोड़ा तो तुम्हे इस जायदाद से बेदखल कर दिया जाएगा!! पायल जी ने कहा।।
आपको जो करना है कीजिए पर में सानवी का साथ कभी नही छोडूंगा आराब ने कहा ।।
ये ऐसे नही मानेगा कुछ और ही करना पड़ेगा पायल जी ने मन में ही कहा "आरव जो की जाने ही वाला था अचानक से पायल जी बोल पड़ी तो तुम उस लड़की को नही छोड़ोगे??
सोच लो बाद में कहीं तुम्हे पछताना ना पड़े... अगर तुम उसे नही छोड़े तो में उस लड़की गुंडे लगा कर मरवा दूंगी !! और तुम्हे उसकी लाश तक नसीब नहीं होगा,,पायल जी ने कहा।।
आप ऐसा कुछ नहीं करेगी" आरव ने कहा//
में ऐसा ही करूंगी... पायल जी ने कहा ।।नही.. नही..नही आप मेरे साथ ऐसा क्यू कर रही है? मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगा,,,,आरव ने कहा ।।
क्यू की बो लड़की मुझे पसंद नहीं है ,,,
अब बताओ उसे छोड़ोगे या नही?? पायल जी ने कहा ।।
हां हां मैं आप की बात मानता हूं"आरव ने कहा। दाट्स लाइक माय गुड बॉय ,,,अब जाओ उस लड़की को बताके आओ ।।पायल जी ने कहा और वहां से चली गई और वहीं आरव फुट फुट कर रोने लगा था ।
दूसरी तरफ ,,,
सान्वी घर पोहोंच चुकी थी घर पर कोई नही था। बो अपने कमरे में गई और और पायल जी की बात याद करके जोर जोर से रोने लगी । ।कुछ देर में उसे आरव का फोन आया।। सान्वी तुम अभी कहां हो ??आरव ने कहा!!
मैं घर पे हूं पर क्यू?? सांवी ने कहा //कुछ नहीं मुझे तुमसे कुछ बात करनी है तुम अभी मुझे कोलेज के पास वाले पार्क में मिलो आरव ने कहा और फोन काट कर दिया ।
पार्क में ,,,
बो दोनो आमने सामने खड़े थे।।
सांवी मुझे तुमसे शादी नही करनी ,,,अब से हम अलग हुए।। आरव ने कहा !!
पर क्यू ??सांवी ने कहा!!
तुम अपनी ओकात देखी हो कभी तुम एक मामूली टीचर की बेटी और में तुम तो जानती हो हो!!मुझे अगर मम्मी ने इन सब के बारे में ना बताया होता तो मुझे इसके बारे कभी पता ही नही चलता //आरव ने कहा और वहीं सानवी बस रोए ही जा रही थी ....
आरव ऐसे ही एक सांस बहत कुछ कहा और वहां से चला गया पर सांवी नहीं बैठी रो रही थी ।
शर्मा हाउस ,,,
आरव घर पोहोचा तो उसकी मम्मी ने उसे एक लड़की से मिलाया और कहा आरव इसे मिलो ये है नताशा इससे कल तुम्हारी शादी है ,,,, पर कल क्यू ??आरव ने कहा मैंने कह दिया तो कह दिया शादी कल ही होगी !!पायल जी ने कहा ।।
तो आरव गुस्से से अपने कमरे में चला गया । पायल जी ने एक शादी का कार्ड उठाया और सान्वी के घर भिजवा दिया ।।
सांवी के घर पोहोंचा कार्ड को देख सांवी के आंखो से आसू बहने लगे बो जोर जोर से रोने लगी । । उसे लग रहा था जेसे एक की झटके में उसकी सारी दुनिया बदल गईं हो।।
अगली सुबह ,,,
आज आरव और नताशा की शादी थी ,, पर आरव घर में कहीं नही था और दूसरी तरफ सांवी भी अपने घर में नही थी ।
लगभग एक साल बाद ,,,
बनारस,,,
बनारस नगरी नाम सुनते ही जैसे मन में अलग ही आस्था उत्पन्न हो जाती है, यह पावन नगरी कितनी पुराणी और धार्मिक है जिसकी कल्पना हम कर सकते है हमारे आदि पुराणों में की गयी है, पहले काशी फिर बनारस और फिर वाराणसी और भी नामो में इसे जाना जाता है बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से यह नगरी महादेव की नगरी कही जाती है ।।
एक रोज अस्सी घाट मैं,,,,
एक लडकी घाट पर बैठी शांत से पानी को निहार रही थी जैसे मानो किसी की शिकायत कर रही थी अपनी गंगा मैया से। फिर पिछे से उसे एक आवाज़ आई,,"मैम जल्दी चलिए हमे लेट हो रहा है!! लडकी ने बस हां मैं जवाब दिया। बो जा ही रही थी की उसे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी।। उसी आवाज सुन वो थोड़ा घबरा जाती है लेकिन बहम समझ वो जाने लगती।।
लेकिन दिल का क्या करे उसे चैन कहा आती हैं,,, फिर दिल के हाथ मजबूर हो के वो घबराते हुए पीछे पलटी है तो देखती वो चेहरा,,,,
वो ही चेहरा//बही आंखे,,, बस चहरे मैं बस थोड़ी दाढ़ी बढ़ गई है,,,,।।ये बही सख्स था जिसे देख कभी उसकी धड़कने बढ़ जाती थी,,, पर उसमे भी अब कोई शोर नहीं।। ये आरव था।
बो हस हस कर किसी से बात कर रहा था उसने बड़ी ध्यान से देखा तो उसके साथ एक ओरत जिसके हाथ में एक ५ /६ महीने का बच्चा था ।।
बो उसे देख फुट फुट कर रोने लगी ।। उसकी पुराना अतीत उसके आंखो के सामने झलक उठा ,,, बो जल्दी से मुड़ कर बहां से चली गई।।
पर उसकी किस्मत में कुछ ओर ही लिखा था,,, शायद उसे वो एहसास था,,, बो अभी गाड़ी में बैठ सोच ही रही थी की जाते जाते रास्ते में एक गाड़ी से टकरा गई और उसकी वजह से उसकी मोत हो गई । उधर सांबी की सांसे जेसे जेसे थम रही थी उधर अरब की दिल की धड़कने न जानें क्यों बेतहाशा धड़कने लगी,,, किसी अनहोनी की डर से !! बो घाट से निकल कर जल्दी जल्दी अपनी फ्लैट पर चल पड़ा।।
उधर,,,ये न्यूज चारो और फेल गई ।
आरव अपने घर पहँच कर रिलैक्स हुआ और एक ग्लास पानी पिया फिर टीवी लगा कर देखने लगा ।।
टीवी में कुछ इस प्रकार की न्यूज दे रही थी ,,, आप सबको हम बता दे की हमारी प्रिय राइटर मिस सांवी हमे हमे अब छोड़ कर जा चुकी है ,,, पर बो जाते हुए हमारे लिए उनकी लास्ट बुक छोड़ कर गई जिसका हमे बरसो से इंतजार था "आखिर खत"
ये उनकी लास्ट बुक है जो की अब बुक स्टोर पर एवलेबल है ।बो अपना चेहरा कभी नही दिखाती नही थी पर आज इस हाल में उनका चेहरा दिख रहा है ये सुन हमे बोहोत ही ज्यादा दुख हो रहा है।।
न्यूज रिपोर्टर ने इतना ही बोला और टीवी पर सांवी की फोटो आने लगी ।।
उस न्यूज मैं और सांवी की फोटो देख आरव को लग रहा था जेसे उसकी सांसें थम गई हो,, वो प्यार एक साल से जिसे ढूंढ रहा है वो कुछ इस प्रकार उसके सामने आयेगा वो उसने सोचा नहीं था।। उसके दिल में बोहोत दर्द हो रहा था ,,,और वो जोर जोर से फुट फुट कर रोने लगा । कुछ देर रोने के बाद बो उठा और बुक स्टोर की और चल पड़ा बो बुक खरीदने । ऐसे कुछ दिनों बाद आरव ने एक आर्फोनिज से एक बच्ची एडॉप्ट किया और कहीं दूर चला गया ।
मुंबई ,,,
उसके पापा ने आन्वी को पूरी कहानी बताई । ये कहानी किसकी है पापा ??आन्वी ने पूछा तुम खुद ही देख लो !! उसके पिता ने कहा और अपनी किताब आन्वी के हाथो थमा दिया।।
अन्वी ने किताब देखी और किताब के अंदर रखी फोटो देखी और बोली ये तो आप है पापा!! आन्वी ने कहा //हां... आरव ने इतना ही जवाब दिया ।।
फिर ये कोन है पापा?? आन्वी ने फिर पूछा पर दूसरी ओर से कुछ जवाब ना आता देख बो देखने लगी तो उसके पापा अब इस दुनिया में नही थे बो जा चुके अपने सांवी के पास । जीते जी तो नही पर शायद मरने के बाद बो अपनी दुनिया बसाए ।
अब सांवी के किताब की सिर्फ़ एक पन्ना बाकी था उसमे कुछ ऐसा लिखा था,,,
विश्वनाथ के जैसे तुम,मैं तुम्हे अर्पित न्यून अक्षत सा!!
दिलकस किरदार हो तुम, में तुम्हारी बेनान लेखिका सा!!
तुम्हे पा सकूं उतनी मचाल कहां,में ठहरी उस कहानी का कुंदन सा!!
कितना तुम्हे देखा करूं, तुम सुकून शाम की आरती सा!!
कितना लिखूं उसके बारे में!!
वो तो फिर भी चुप हैं, क्यों की पाक सी इश्क़ है मेरा बनारस सा!!