मेरा जीवन!
नमस्कार मैं यानी की विक्रांत राजलीवाल!! आज अपनी जिंदगी को जो एक अनसुलझी पहली के समान ही उलझती हुई सी प्रतीत होती है को समझने का एक प्रयास कर रहा हु।
मेरा जीवन।
जब जब मैंने चाहा हमनें किसी को! वो हमसे रूठ गया,
दिल में उतारा था धड़कन की तरह जिसको,
वो कांटे की तरह दिल में चुभ गया।
मै चाह पर भी बयां नहीं कर सकता उस एक एहसास को!!
और शायद मैं बयां करना भी नही चाहता हु खुद भी!!
दोस्त तो कोई अब अपना दिखाई नहीं देता मुझे!! तन्हा हु जीवन में अपने आजकल मैं एक तन्हाई के साथ!!
जीवन में एक एहसास वो मोहब्बत का! ना जाने कहा खो गया है।
अब तो दर्द ही दर्द है उसका भी कोई एहसास जो अब नही होता।
अश्क बहाता हु मै तन्हाई में कि कहीं रुसवा ना हो जाए कोई!!
बहते अश्को से मेरे जो!!
खामोश रहता हु आजकल मैं तन्हाई में!! बहुत बोलता हु महफिलों में आजकल मैं!!
एक अजीब सी हालत है मेरी जो! चाह कर भी उसको बयां नहीं कर सकता हु मै!!
एक निशान अश्क का...💦
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित
दिनाक
फर्स्ट 17 मई रात 23: 33 बजे। नाउ आफ्टर सम मोडिफाई
"मेरा जीवन एक अनसुलझी पहली" - my feelings - Vlog of life's -/
Author: Vikrant Rajliwal
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