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मां का संघर्ष

19 September 2023

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मैंने पेटी उठाई सब कपड़े रखे और कहां "बस और बहुत हो गया।" आंखों से आंसू टपकने लगे। "जिस बेटी के खुशी के लिए इतने साल संघर्ष किया। अब उसे अपनी जिदंगी संभालना आ गया है। अब मेरी जरूरत नहीं है।" 

दो दिन की थी जब उसके पिता की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई। सास ने इस दुर्घटना का कारण बेटी के पैदा होने का कह दिया। कहा भेज दो इसे अनाथालय। उस अपनी बड़ी बेटी दिव्या और छोटी बेटी काव्या के साथ घर छोड़ दिया। आज वह 20 साल की है। प्यार करती है एक लड़के से। मैंने बस कहा पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों में खड़ी होने के बाद शादी करें। लड़का समझदार है। मेरी बात समझता है। आज बहुत कहा सुनी हो गई। लड़के का नाम वेद है। chartered accountant हैं। काव्या से 4 साल बड़ा है। और हां मेरे बड़े दामाद आदित्या का बड़ा भाई है। दोनों बच्चे बहुत अच्छे और समझदार है। खुशनसीब हैं मेरी बेटियां। आज जब काव्या ऊंची आवाज में मेरे से बात की तो वेद को गुस्सा आ गया। वह मेरी इज्जत करता है। आदित्या ने इस माहुल को संभाला और वेद को काव्या को लेकर बाहर जाकर समझाने के लिए कहा।

लेकिन इतनी बड़ी टेस कैसे सहन करूं। तब ही आवाज आई "मां, यह क्या है? क्यों कपड़े पेटी में रख रही हो?" देखा तो दिव्या और आदित्या पीछे खड़े है। मैंने कहा "बस बेटा और नही सह सकती। देखा ना कैसे ऊंची आवाज में मुझ से बात कर रही थी। " 

"मां वह नासमझ है, वेद भैया गए है ना। समझ जायेगी। तुम जल्दबाजी में कोई निर्णय मत लो। ठीक है?"

थोड़ी देर में काव्या और वेद भी आ गए। काव्या मेरे पास आई और मुझे गले से लगा लिया कहा " मां मैं भूल गई थी कि इस दुनिया में अब तक हूं तो आप की वजह से। आप ने इतने कष्टों से मुझे पाला और मैने आज आप से ही गलत व्यवहार किया। मैं माफी मांगने के काबिल भी नहीं हूं।" बस और क्या था आंखों से आसुओं की वर्षा हो रही थी। जी हल्का हो गया। मां हूं नासमझ बेटी की। 


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मां का संघर्ष
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गई। सास ने इस दुर्घटना का कारण बेटी के पैदा होने का कह दिया। कहा भेज दो इसे अनाथालय। उस अपनी बड़ी बेटी दिव्या और छोटी बेटी काव्या के साथ घर छोड़ दिया। आज वह 20 साल की है। प्यार करती है एक लड़के से। मैंने बस कहा पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों में खड़ी होने के बाद शादी करें। लड़का समझदार है। मेरी बात समझता है। आज बहुत कहा सुनी हो गई। लड़के का नाम वेद है। chartered accountant हैं। काव्या से 4 साल बड़ा है। और हां मेरे बड़े दामाद आदित्या का बड़ा भाई है। दोनों बच्चे बहुत अच्छे और समझदार है। खुशनसीब हैं मेरी बेटियां। आज जब काव्या ऊंची आवाज में मेरे से बात की तो वेद को गुस्सा आ गया। वह मेरी इज्जत करता है। आदित्या ने इस माहुल को संभाला और वेद को काव्या को लेकर बाहर जाकर समझाने के लिए कहा। लेकिन इतनी बड़ी टेस कैसे सहन करूं। तब ही आवाज आई "मां, यह क्या है? क्यों कपड़े पेटी में रख रही हो?" देखा तो दिव्या और आदित्या पीछे खड़े है। मैंने कहा "बस बेटा और नही सह सकती। देखा ना कैसे ऊंची आवाज में मुझ से बात कर रही थी। " "मां वह नासमझ है, वेद भैया गए है ना। समझ जायेगी। तुम जल्दबाजी में कोई निर्णय मत लो। ठीक है?" थोड़ी देर में काव्या और वेद भी आ गए। काव्या मेरे पास आई और मुझे गले से लगा लिया कहा " मां मैं भूल गई थी कि इस दुनिया में अब तक हूं तो आप की वजह से। आप ने इतने कष्टों से मुझे पाला और मैने आज आप से ही गलत व्यवहार किया। मैं माफी मांगने के काबिल भी नहीं हूं।" बस और क्या था आंखों से आसुओं की वर्षा हो रही थी। जी हल्का हो गया। मां हूं नासमझ बेटी की।