जीवन मंत्र बनाने को सरलता त्यागना पड़ेगा और असर देखें कि ज़िंदगी में अनेक विषय निरंन्तर गोता लगाते रहते हैं कहां जीवन की पगडंडियों पर से मुखर होकर अपने अपने कर्तव्य निर्वहन करतें करते पूरे वक्त से आधा खर्च हो जाता है तभी एकाएक अनंतर आत्मा आवाज देती है जरा रुको
जीवन तों ख़ुद पर खर्च नहीं कियायह तों खिसकता ही जा रहा है, खुशियां बरसती रही और मन कभी भीग नहीं पाया। एक पल के लिए ज़ीना वह भी खुलकर हंसना,कोई भी तकलीफ़ हो तों निराकरण करने के बाद ही एक गहरी सांस लेकर अपनी ही तस्वीर कों निहारते हुए मन कहे वाह! समय से सभी जिम्मेदारियों को पूरा कर लिया।
अभी भी कुछ समय बचा है चलों घूमने चले।
बस निकले हाथों में हाथ लिए कुछ दोस्तों या जिन्हें भी आपको खास लगाव है बस यात्रा में कोई भी टीस न हों।
खिलखिलाते शब्द और खिलखिलाते हुए चहकते हुए साथियों के साथ बाकी के जीवनकाल कों खुशनुमा बनातें हुये जिये जायें।
जहां एक तरफ पहाड़ों की निर्मलता कोमलता लिए बहती पुरवाई का अहसास छुये, धीरे-धीरे
रिमझिम रिमझिम बारिश की फुहारें और गर्म पनीर पकोड़ा चाय का जायका।
हंसते मुस्कुराते हुए बाकी का जीवनकाल बच्चों और जिम्मेदारी कों पूरा करने के बाद जों मिलता है
क़सम से ऐसा लगता है कि जहां सिर्फ खुशहाल हैं।
हम भी अपने जीवन मंत्र बनाने में सफल हो जायेंगे
लेख ----- नीलम द्विवेदी " नील