Meaning of INK-POT in English
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Meaning of INK-POT in English
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- "Whispers of the Pen"
- Ink and Stardust
- #poetry शिर्षक:"देखो,आज मेरी तबियत कुछ उदास है "
देखो, आज मेरी तबियत कुछ उदास है,
आवाज नहीं आ रही, गले मे खरास है ।
देखो बेदिली, ये मौसम पल मे है बदल रहा,
हो रहा है असर, सारा बदन बदहवास है ।
किसी की चाहत है भरी दिल मे,
और लगता है वो कहीं आस- पास है ।
कहीं तो कमी है किसी की, बस यु लगता है
की, बिन उसके, जिंदगी उदास है ।
दिल नही लगता अब कहीं, जीश्म का
तापमान ,सामान्य से कहीं उपर है ,
यू लगता है की यह प्रीत की प्यास है ।
मन हैरान- परेशान, क्या है समाधान,
जी मे जागृत एक अनजाना एहसास है ।
जो ओढ़ना चाहता है यह बदन,
वह एक अनोखा कीमती लिबास है ।
देखो, आज मेरी तबियत कुछ उदास है,
आवाज नहीं आ रही, गले मे खरास है ।
~ Author Munna Prajapati
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- #lyrics कोई और क्या समझेगा एहमियत तेरी,
सिर्फ मै जानता हूँ किमत तेरी...
कितने साल गुजरे हैं तेरी तालाश मे जाना,
तु क्या जाने मुझमें कितनी हिम्मत है तेरी.... ।
तुझे अट्ठारह साल तक मोला है मैने,
अपनी चाहतों में तुझको तोला है मैने,
कैसे ओझल होने दूँ, अपनी नजरों से तुझको,
दिल मे बसाया, बिठाया है
अपनी अधरों पे तुझको.....
झांक कर देख दिल मे मेरे,भरी है
कितनी जुनूनियत तेरी.....
कोई और क्या समझेगा एहमियत तेरी,
सिर्फ मै जानता हूँ किमत तेरी.... ।
तु है तो ये सांसे चल रही है,
तु है तो ये दिन ढल रहा है,
बिन तेरे एक पल भी गुजारा नही है,
मै हूँ पर ये जीवन हमारा नही है ।
दिल मे जो भी मोहब्बत है सारे,
आ...मै जेहन में उतारूँ तुम्हारे....
क्या देखें हम जमी के नजारे,
हम जियेंगे वफाओं के सहारे.... ।
लबों पे तुम्ही, नजर में तुम्ही, दिल मे है
कैफियत तेरी.....
कोई और क्या समझेगा एहमियत तेरी,
सिर्फ मै जानता हूँ किमत तेरी.... ।
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नोट:- आप यदि इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकते हैं परंतु हमारी अनुमति लेकर । हमारी अनुमति अनिवार्य है । 🙏 धन्यवाद
- #poetry कुछ इनके हिस्से मे नही आती✍️✅😥🥀🥀🙏
.. Author Munna Prajapati #viral #Real #motivation #post #writing
- #lyrics #bhojpuri अचरा के छईंया ना मिली...
आ.... आ...... आ...... आ...
चाहे घूम लs चारो धाम,
केतनो जपलs कृष्न राम... २
पियलs छतिया के दूध उ
समईया ना मिली.....
सब कुछु पयीबs लेकिन,
अचरा के छईंया ना मिली....
मेहरी के बात सुनी, बोलs तारs
कुबोली माई के,
कुछउ ना चाही कहे माहातारी
जब आवेलs कामाई के.... २
केहु केतनो करी प्यार बाकी
ओहमे सच्चईया ना मिली....
सब कुछु पयीबs लेकिन,
अचरा के छईंया ना मिली....
रात रात भर जागी तोहके
कोरा मे सुतावे,
तनिक सा रोआला पs तोहके
छाती से लागावे.... २
ओकरा गोदिया से बढ़के कवनो
जगहिया ना मिली....
सब कुछु पयीबs लेकिन,
अचरा के छईंया ना मिली.......
आयी एक दिन अईसन रचित
बन जाई सब केहु याद हो,
पूज लs चरनिया इनके होई
जयीबs आबाद हो..... २
खुल जाई पिंजरावा जहिया
फेर चिरईया ना मिली.....
सब कुछु पयीबs लेकिन,
अचरा के छईंया ना मिली......
✍️ Author Munna Prajapati
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५
- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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