तृष्णा
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एक व्यापारी था, वह ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था ! एक बोरा खिसक कर गिर गया ! कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 100-50 ग्राम खाये और चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ गायें आयीं 2-3 किलो खाकर चली गयीं, एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया ! अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं, लेकिन मनुष्य तृष्णा में जीता है ! इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है ! आवश्यकता के बाद इच्छा को रोकें, अन्यथा यह अनियंत्रित बढ़ती ही जायेगी, और दुख का कारण बनेगी !
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