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मां

4 September 2022

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ईश्वर स्वयं धरती पर नही आ सकते,
इसलिए उन्होंने मां बनायी।
पर वो मां के लिए तो सहारा बनाना ही भूल गए।

नौ महीने तुमको जनने का दुख वो सहती हैं,
अपनी हर उम्मीद पीछे छोड़, वो तुम्हारी हर ज़रूरत पूरी करती हैं।

मां बीमार भी हो कभी तब भी घर संभाली है,
हमने उसे देवी बना उसकी हर जरूरत टाली है।
उसके सपने,
उसकी इच्छा,
कब कहा किसी ने पूछी है, वो देवी नही इंसान हैं
फिर भी घर के सब सहती हैं। मां को भी हक है कि सपने देखे,
वो भी किचन से बाहर आए,
आदर्श, त्याग की बेड़ियों से उसे भी आजाद किया जाए।
उसे भी छुट्टी मिले घर से
वो भी अपना आसमां खुद बुने,
वो हमारे लिए सबकुछ है
हम भी उसका कुछ तो बने
अब जो कर सको तो तुम इतना करना, कहना लो छुट्टी आज मां घर से, चलो तुम भी दुनिया की सैर करना, है इजाज़त तुम्हे भी गलती करने की तुम महान हो पर इंसान हो! मां तुम हमारे सपनों के लिए जीती हो, पर तुम खुद के लिए भी जीने की हकदार हो ।

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