यादो के गुल्क ।
दिल की जमीन को कुरेदा तो
पुराने खजाने निकल आए
कुछ खुशी गमो का पल
याद निकल आए ।
मैने संभाल रखा था उस पल को
जैसे पैसा रखे कोइ गुलक मे
मैने उसे दुनियाँ के नजरों से
छुपा कर रखा था….
जैसे रखे कोई खजाने को….
एक दिन रास्ते मे गम के
सागर भी आया
मेरे सारे खुशियों को बहा
ले गया ….
मेरे अनमोल खजाने को
भी बहा ले गया..
मेरे आँखों मे आंसू दे गया..
मैं भी दिल के जमीन में
यादो का गुलक रखा था
मै भी जी रहा हु यारो
यादो के सोने के सिक्के
को खर्च करके …
( सागर कुमार दास )
( चुम्बा,रामगढ़ झारखण्ड)