Meaning of भंग in English
- The act of breaking, in a figurative sense.
- Specifically: A breaking or infraction of a law, or of any obligation or tie; violation; non-fulfillment; as, a breach of contract; a breach of promise.
- A gap or opening made made by breaking or battering, as in a wall or fortification; the space between the parts of a solid body rent by violence; a break; a rupture.
- A breaking of waters, as over a vessel; the waters themselves; surge; surf.
- A breaking up of amicable relations; rupture.
- A bruise; a wound.
- A hernia; a rupture.
- A breaking out upon; an assault.
- To make a breach or opening in; as, to breach the walls of a city.
- To break the water, as by leaping out; -- said of a whale.
- A measure of length in Italy, varying from six to seven feet. See Cane, 4.
- A genus of tropical plants, with large leaves and often with showy flowers. The Indian shot (C. Indica) is found in gardens of the northern United States.
- Act of abandoning a person or cause to which one is bound by allegiance or duty, or to which one has attached himself; desertion; failure in duty; a falling away; apostasy; backsliding.
- To take away; to withdraw.
- To take credit or reputation from; to defame.
- To take away a part or something, especially from one's credit; to lessen reputation; to derogate; to defame; -- often with from.
- The act of disbanding.
- of Dissolve
- To separate into competent parts; to disorganize; to break up; hence, to bring to an end by separating the parts, sundering a relation, etc.; to terminate; to destroy; to deprive of force; as, to dissolve a partnership; to dissolve Parliament.
- To break the continuity of; to disconnect; to disunite; to sunder; to loosen; to undo; to separate.
- To convert into a liquid by means of heat, moisture, etc.,; to melt; to liquefy; to soften.
- To solve; to clear up; to resolve.
- To relax by pleasure; to make powerless.
- To annul; to rescind; to discharge or release; as, to dissolve an injunction.
- To waste away; to be dissipated; to be decomposed or broken up.
- To become fluid; to be melted; to be liquefied.
- To fade away; to fall to nothing; to lose power.
- The act of breaking or snapping asunder; rupture; breach.
- The breaking of a bone.
- The texture of a freshly broken surface; as, a compact fracture; an even, hackly, or conchoidal fracture.
- To cause a fracture or fractures in; to break; to burst asunder; to crack; to separate the continuous parts of; as, to fracture a bone; to fracture the skull.
- of Outrage
- A fall that breaks the neck.
- A steep place endangering the neck.
- Producing danger of a broken neck; as, breakneck speed.
- The act of inflecting, or the state of being inflected.
- A bend; a fold; a curve; a turn; a twist.
- A slide, modulation, or accent of the voice; as, the rising and the falling inflection.
- The variation or change which words undergo to mark case, gender, number, comparison, tense, person, mood, voice, etc.
- Any change or modification in the pitch or tone of the voice.
- A departure from the monotone, or reciting note, in chanting.
- Same as Diffraction.
- To throw out; to vomit.
- Vomit.
Meaning of भंग in English
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- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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