Meaning of थाली in English
- A vessel, as a platter, a plate, a bowl, used for serving up food at the table.
- The food served in a dish; hence, any particular kind of food; as, a cold dish; a warm dish; a delicious dish. "A dish fit for the gods."
- The state of being concave, or like a dish, or the degree of such concavity; as, the dish of a wheel.
- A hollow place, as in a field.
- A trough about 28 inches long, 4 deep, and 6 wide, in which ore is measured.
- That portion of the produce of a mine which is paid to the land owner or proprietor.
- To put in a dish, ready for the table.
- To make concave, or depress in the middle, like a dish; as, to dish a wheel by inclining the spokes.
- To frustrate; to beat; to ruin.
- One who plats or braids.
- A large plate or shallow dish on which meat or other food is brought to the table.
- An imitation of a rose by means of ribbon or other material, -- used as an ornament or a badge.
- An ornament in the form of a rose or roundel, -much used in decoration.
- A red color. See Roset.
- A rose burner. See under Rose.
- Any structure having a flowerlike form; especially, the group of five broad ambulacra on the upper side of the spatangoid and clypeastroid sea urchins. See Illust. of Spicule, and Sand dollar, under Sand.
- A flowerlike color marking; as, the rosettes on the leopard.
- One who salves, or uses salve as a remedy; hence, a quacksalver, or quack.
- A salvor.
- A tray or waiter on which anything is presented.
Meaning of थाली in English
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- #poetry " दोस्तों के साथ की जिंदगी "
ओहो.. कैसे थे हम... और कैसे हो गए,
वो वक़्त अब शायद...कहीं खो गए,
वक़्त बीते और हम बिछड़े...
उड़ गए कहीं हमारी खुशियोँ के चिथड़े ।
कैसे मिलकर हम शोर मचाया करते थे,
ये मेरी है, वो तेरी है.. कहकर...
एक दूसरे को रिझाया करते थे,
कड़क सर्दी और कड़क धुप मे साथ
पढ़ने जाया करते थे...
कोई छोटा कोई बड़ा नही, एक ही
थाली मे खाया करते थे... ।
किसी की शादी हो गयी तो
कोई कवारा है...
कोई जिम्मेदारियों से जूझ रहा
तो कोई गलियों का आवारा है,
कोई बन गया शाहब तो कोई
बेरोजगारी का मारा है... ।
दूर हो मजबूर हो मगर, ये दोस्ती
दिल मे कायम रखना,
कभी तो मिलेंगे किसी मोड़ पर,
सोचना, जगना और राह तकना,
कितने जागे और कितने सो गए,
जगह बदला और समय बदला,
जो हमारे थे, वो किसी और के हो गए ।
~ ऑथोर मुन्ना प्रजापति
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- #navratri #song मईया के महिमा अपरंपार...
M- एतना महंगी के भईल जमाना ए जाना,
रुपिया पईसा के बा अबही ताना...
नाया नौहर तु बाडु अभी कनिया ए धनिया,
एक ही बतिया कहs ना रोजाना...
F- बाटे मईया के महिमा अपरंपार राजा जी... 2
नईखे पईसा तs लिया दs ना उधार राजा जी..... ३
F- लाले चुनरी लिया दs, लाले बिंदिया लिया दs,
लाले अड़हुल के फुल, पूजा के थाली में सजा दs.... २
M- मोर धनिया हो, मईया अइहें आगे फेर,
देर रात हो गईल ,सूतs बात करिहs सबेर...
F- जे करेके बा अभिये कलिं ना विचार राजा जी.... २
नईखे पईसा तs लिया देहब उधार राजा जी....
बाटे मईया.......... नईखे पईसा......
F- भुखब नउ नवरातर, करब एकहु ना आतर,
बदली जिनगी के रंग रूप ,माई के नौ गो स्वरूप..... २
M- मोर रनिया हो हम तs बानी अनजान,
भक्ति भाव मे कबो ना लगवनी धेयान...
F- होई किरपा गुजि घर मे किलकार राजा जी... २
नईखे पईसा तs लिया देहब् उधार राजा जी...
M- एतना महंगी...... रुपिया....
F- बाटे मईया...... नईखे पईसा......
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५
- #poetry संभल कर रहना...
संभल कर रहना, भलाई का जमाना
अब नही रहा,
हमने जिसे समंदर में डूबने से बचाया,
वही हमे भवर मे छोड़ गया ।
बोली लग रही थी जिसकी जिश्म की
छुट्टे जोड़कर जिसको बचाया
वही हमे बाजार में बेचकर चला गया ।
जिसे हमने सिचकर, तरासकर, पौधे से
वृक्ष बनाया वही हमारे झोपड़ी को
उजाड़ कर चला गया ।
सड़क से नांगा उठाया था जिसको
आज वही हमे भिखारी बता कर चला गया ।
जिसको कभी इश्क़ करना सिखाया था
हमने, आज उसने हमे सबक सिखाकर
चला गया ।
खुद का निवाला खिलाकर बड़ा किया
जिसको, आज वही मेरे आगे से खाने
की थाली छीन कर चला गया ।
जिस अंधे को अपनी आँखे दी हमने,
आज वही हमे अंजान कहकर चला गया ।
कभी भगवान् था मै भी किसी के नजरों मे
आज वही हमे शैतान कहकर चला गया ।
आज प्रेम के रिश्ते शर्तों पर चल रहे हैं,
वो सात फेरों और सात जन्मों का
बंधन चला गया ।
भूल गए सभी के पति पर्मेश्वर है,
हर पत्नी के मन से पिया का वंदन
चला गया ।
एक रोज हमने जिसे गिरने से बचाया,
आज वही हमे गिराकर चला गया ।
जिसके हम हमेशा ज़ुबाँ पे रहते
सोते , जागते,
आज वही हमे भुलाकर चला गया ।
संभल कर रहना, भलाई का जमाना
अब नही रहा,
जिसके लिए हम सच्चे थे, वही हमे
झुठलाकर चला गया ।
~ मुन्ना प्रजापति
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- जरासन्ध के पुत्र
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