Meaning of उतार in English
- Alt. of Refluency
- Tending to produce waves.
- Water or other liquid carelessly spilled or thrown aboyt, as upon a table or a floor; a puddle; a soiled spot.
- Mean and weak drink or liquid food; -- usually in the plural.
- Dirty water; water in which anything has been washed or rinsed; water from wash-bowls, etc.
- To cause to overflow, as a liquid, by the motion of the vessel containing it; to spill.
- To spill liquid upon; to soil with a liquid spilled.
- To overflow or be spilled as a liquid, by the motion of the vessel containing it; -- often with over.
- Any kind of outer garment made of linen or cotton, as a night dress, or a smock frock.
- A loose lower garment; loose breeches; chiefly used in the plural.
- Ready-made clothes; also, among seamen, clothing, bedding, and other furnishings.
- An oblique direction; a line or direction including from a horizontal line or direction; also, sometimes, an inclination, as of one line or surface to another.
- Any ground whose surface forms an angle with the plane of the horizon.
- Sloping.
- In a sloping manner.
- To form with a slope; to give an oblique or slanting direction to; to direct obliquely; to incline; to slant; as, to slope the ground in a garden; to slope a piece of cloth in cutting a garment.
- To take an oblique direction; to be at an angle with the plane of the horizon; to incline; as, the ground slopes.
- To depart; to disappear suddenly.
- of Slope
- State of being slope.
- Inclining or inclined from the plane of the horizon, or from a horizontal or other right line; oblique; declivous; slanting.
- of Slop
- The quality or state of being sloppy; muddiness.
- Wet, so as to spatter easily; wet, as with something slopped over; muddy; plashy; as, a sloppy place, walk, road.
- A shop where slops. or ready-made clothes, are sold.
- The manufacture of slops, or cheap ready-made clothing; also, such clothing; hence, hasty, slovenly work of any kind.
- Sloping; inclined.
- Deep and precipitous, having steep descent.
Meaning of उतार in English
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- Nikhar rahe hai
- #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
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- जीवन मे मुश्किल वक्त
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