Meenakshi Suryavanshi
जिंदगी की जुस्तजू और मन में उठते भाव,
कोई नजरअंदाज करे कोई सुने लेकर चाव,
एक प्रसंग पढ़कर ही न विचार बनाइयें,
पूरी पुस्तक पढ़कर खुद को तो दोहराइए,
जो गुम न हुए खुद में ही तो हमे बताएं,
सच कहे क्या इन भावो से आप खुद भी बच पाएं,
यदि पसंद आये तो हौस
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