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विश्व इतिहास:एक नए नज़रिए से

22 September 2024

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  विश्व इतिहास: एक नए नज़रिए से 








खण्ड : पहला 






  


पूज्यनीय मां ,पिताजी को सादर समर्पित ।



       







लेखक
                                     आर . के . चंद्रवंशी                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               









प्रथम  संस्करण 
सन् 2024

 

                                                                                                                                                        























                  विश्व इतिहास : एक नए नज़रिए से 
                                  
                                  विषय सूची

                                    प्राक्कथन 

                                     भूमिका 

                                  खण्ड : प्रथम 

                                  खण्ड : द्वितीय 

                                    चित्रावली





























                                   प्राक्कथन 

राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक , सांस्कृतिक आदि  घटनाओं तथा  प्रवृतियों  के समन्वय से इतिहास की रूपरेखा बनती है । उनका पारस्परिक संबंध इतना घनिष्ठ है की एक अंग का भी अभाव  होने से इतिहास विकृत सा हो जाता है , उपर्युक्त मानवीय व्यापारों की उत्पति और उनका विकास प्रत्येक देश , प्रदेश , भूमि भाग आदि की भौगोलिक स्थिति के अनुसार होता है 
प्रकृति और मानव क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं से इतिहास का विकास होता है । साधारण पाठकों के लिए संक्षिप्त , सुलभ और छोटे आकार में छः सहस्र  वर्षों  के इतिहास का लेखा - जोखा  प्रस्तुत करना एक प्रकार का दु :साहस  है । इसी कठिनाई से बचने के लिए लेखक इतिहास के इन मानदंडों का प्रयोग करना आवश्यक समझते हैं जिससे पूरे विश्व इतिहास को बिल्कुल नए नजरिए से कम समय में समझा जा सके । किंतु अंग ही विशेष के सूक्ष्मतम वर्णन से भी व्यक्ति का स्वरूप मूर्तिमान नहीं होता , उसी प्रकार मानव - व्यापार के किसी विशेष अंग के वर्णन से इतिहास का स्वरूप प्रकट नहीं होता । लाचार, छोटे चित्र के भी निर्माण करने के लिए इतिहास के मुख्य अंगों की उपेक्षा नहीं की जा सकती । स्थान तथा समय के अभाव में यह अनिवार्य हो गया है की ऐतिहासिक प्रवाह की मोटी तथा महत्वपूर्ण घटनाओं और विषयों पर ही ध्यान रखा जाए। और जहां कही उचित हो ऐसे संकेत कर दिए जाएं  जिनसें पाठकों की कल्पना एवं उत्सुकता को कुछ उत्तेजना प्राप्त हो और उन्हें अधिक जानने की प्रेरणा हो । 

प्रस्तुत पुस्तक की रचना में अनेक लेखों तथा ग्रंथो का आश्रय लिया गया है । सामग्री के चुनने और उसका मूल्यांकन करने में लेखक ने यथासंभव अपनी समझ - बुझ  से काम लिया है । सब स्रोतों का वर्णन छोटे से ग्रंथ में असंभव है । 

अतः जिन लेखकों तथा ग्रंथों का अवलम्ब लिया गया है उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करके संतोष करना ही व्यवहारिक उपाय जान पड़ता है ।                 
                                                          आर. के. चंद्रवंशी
                                
                                             






                                     भूमिका

हमारें ब्रह्माण्ड की आयु लगभग तेरह अरब सत्तर करोड़ वर्ष तथा पृथ्वी की आयु चार अरब साठ करोड़ वर्ष से ज्यादा मानी गई है और पृथ्वी तल पर जीवन की उत्पति कोई तीन अरब पचास करोड़ वर्ष पहले। 15 - 20 लाख वर्ष पहले पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में प्रथम मानव कहे जानेवाले ' होमो हैविलिस' का आविर्भाव हुआ तथा ' होमो सेपियंस' का दक्षिणी अफ्रीका में जन्म 1,50,000 वर्ष पूर्व हुआ। आधुनिक मनुष्य का उद्भव इसी से माना जाता है, जिसका इतिहास पुरापाषाण युग ( 6 लाख वर्ष ई. पू. से 10 हजार ई. पू.) से आरंभ होती है, और हम तक आता है।                                                         आइए हम, सर्वप्रथम पहले यह परिभाषा करें की इतिहास क्या है । पश्चिमी भाषाओं में ( इतिहास का पर्यायवाची) 'हिस्ट्री' शब्द ग्रीक भाषा के ' हिस्टोरिया' शब्द से व्युत्पन्न है जिसका अर्थ ' जांच - पड़ताल ' है । यह प्रत्यक्षत: अतिभ्रामक धातु है क्योंकि ज्ञान की प्रत्येक शाखा के लिए ही यह जांच - पड़ताल सामान्य बात है । तथ्य तो यह है की जबसे किसी भी शिशु का जन्म होता है, तब से वह सदैव जिज्ञासु होता है और अपने चारों ओर दिखने वाले संसार की बहुत सारी बातों के बारे  में जानने को उत्सुक रहता है , किंतु उस कारण यह तो नहीं कहा जा सकता कि वह शिशु उस विद्या से इतिहास का अध्ययन कर रहा है, स्वयं किसी इतिहास की शिक्षा पा रहा है। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम देखते हैं कि कहीं न कहीं हमें भी यह उत्कटता होती है की संसार की बहुत सारी बातें हमें भी जान  लेनी चाहिए जैसे: 
 
सृष्टि का आरंभ 
  सृष्टि का आरंभ कब हुआ ?                                              मानव की उत्पत्ति 
  जातियों संबंधी विवाद           
  प्रकृति के साथ संघर्ष                                     
  आच्छादन और भोजन की समस्या 
  सामूहिक शक्ति की वृद्धि
  कृषि का आरंभ
  सभ्यता और संस्कृति 

 •आर्थिक स्थिति 
 गृहस्थ संस्था 
 जनसंख्या में वृद्धि 
 राजसत्ता की प्रतिष्ठा 
 लोहे का प्रयोग 
 सामाजिक गतिविधि 
 मनोवृत्ति 

•धार्मिक स्थिति 
 धर्म का विकास 
 ईश्वर की कल्पना
 
 •परिस्थितियों को जीतने का प्रयत्न 
 विस्तार की प्रवृति 
 विकास क्यों रूक गया ?
 इतिहास का प्रवाह अखंड है।





                                 प्रथम खण्ड     
                   
इतिहास के जिन महत्वपूर्ण चरणों का विवरण इस पुस्तक        में  समाहित है, वे हैं: 
खण्ड : प्रथम                                                  
1.प्राचीन विश्व : 10,000 ई . पू.- 323 ई.पू .                a.पहली सभ्यता  
b.प्राचीनकाल संबंधी ग्रीस 

2. सामाराज्यों  का उदय : 300 ई.पू.- 180 ई .                    a. रोमन गणराज्य, मौर्य भारत  और किन चीन:                      b. रोमन सामाराज्य :
                                                                                  3. उतार - चढ़ाव : 30 ई .- 476 ई.    
a. ईसाइयों का उदय :          
b. रोमन सामाराज्य का पतन :                                                                                                                          4अंधकार युग : 476 ई .-  1066 ई .    
 a.देर से पुरातनता :                        
 b. लूटेरों का  युग :                                                                                        
5.राजाओं का  युग: 1066.  1492 ई.                                a. उच्च मध्य युग: 
 b. देर से मध्य युग:


                                  द्वितीय खण्ड  
 
खण्ड : द्वितीय                                             
6. नई दुनिया , नई आस्थाए : 1492 ई .- 1648ई. 
 a. अमेरिका की विजय: 
 b. धर्मों का युद्ध: 

7. क्रांति का मार्ग: 1648ई.- 1815ई.
a. निरपेक्षता का युग:  
b. क्रांति का युग :

8. राष्ट्र और सामाराज्य: 1815 ई.- 1918 ई.
a. औद्योगिक युग:
b. यूरोपीय सामाराज्य :  
                                           
9. युद्ध में दुनिया:  : 1918ई.-1945ई.
a. अंतरयुद्ध काल :Interwar period                                b. द्वितीय विश्व युद्ध : the  second word war                                                                                                      10. आधुनिक युग :1945 ई.-वर्तमान युग                                                                                                                              
                       

         




                                  चित्रावली 
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"इतिहास मानव आत्मा ज्ञान के लिए है..... मनुष्य क्या कर सकता है इसका एकमात्र सुराग यह है की मनुष्य ने क्या किया है । इसलिए, इतिहास का मूल्य यह है कि यह हमें सिखाता है कि मनुष्य ने क्या किया है और इस प्रकार मनुष्य क्या है । "।                         
                                                 
                                                 - आर. जी. कॉलिंगवुड .






















                    प्राचीन विश्व  : पहली सभ्यता 









                             अध्याय : एक                 

 200000 वर्ष पहले प्रथम मानव का जन्मअफ्रीका में हुआ था। 70000 वर्ष पहले वे अफ्रीका से बाहर  इधर उधर घूमते थे।सबसे पहले पूर्व की ओर फैल रहे थे । 45000 वर्ष पहले यूरोप में प्रथम मानव का आगमन हुआ यहाँ वे मैमथ और निएंडरथल्स का शिकार करते हैं। 1700 ई.पु. बस्ती का निर्माण हुआ। मध्य पुर्व, 9000 ईसा पूर्व मानव जाति ने पृथ्वी पर खेती करना सीखा। ओर प्रथम कृषि समाजों का जन्म हुआ। खेती एक बड़ी छलांग है जो बाकी सभी चीजों को गति प्रदान करती है। 8000 ई. पु. से पहले शहर दिखाई देने लगे जॉर्डन में जेरिको और आधुनिक तुर्की में कैटल होयुक। 
मेसोपोटामिया, 4000 ई. पु. पहली महान सभ्यता का जन्म हुआ - पहला सुमेरियन शहर राज्य । उरूक उनका सबसे बड़ा शहर है जो आधुनिक इराक में स्थित है । 2000 की आबादी और इसका विशाल मंदिर, जिसे स्वर्ग का घर कहा जाता है ।

 सुमेरियन शहर - राज्य के उदय के एक सहसराब्दी बाद एक नई सभ्यता का जन्म हुआ । नील नदी, मिस्र। 2950 ई. पु. में राजा नर्मर ने ऊपरी और निचले मिस्र को एकजुट किया दुनिया का पहला राष्ट्र - राज्य बनाए हुए उन्होंने मेम्फिस शहर को अपनी राजधानी बनाया । 2028 ई. पु. में स्फिंक्स और महान पिरामिड का निर्माण हुआ । इस काल को पुराना साम्राज्य कहा जाता है । यह मिस्र का पहला स्वर्ण युग है।

सिंधु घाटी 2600 ई. पु.( प्रागैतिहासिक भारत - उत्तर पश्चिमी क्षेत्र ) । सिंधु सभ्यता सुमेर और मिस्र दोनो से बड़ी थी । उनका सबसे बड़ा शहर मोहनजोदड़ो था। 4000 की आबादी के साथ उनके पास व्यापार की एक अत्यधिक संगठित प्रणाली थीं। लेकिन 1900 ई. पु.से सभ्यता का पतन हो गया था। भीषण बाढ़ इसके पतन का एक प्रमुख कारण हो सकती है।

पहली सभ्यता में क्या समानता थी ? - क्या पानी था?
मिस्र में नील नदी 
मेसोपोटामिया में यूफ्रेट्स और टाइग्रिस (3200ई. पु.)
और पाकिस्तान में सिंधी नदी।
यह नदी ही थी जिसने इन सभ्यता को संभव बनाया । नदी ने मिट्टी को उपजाऊ बनाया । और मिस्र से अधिक उपजाऊ कोई स्थान न था । उपजाऊ भूमि मिस्र के कार्यबल को पेट भर सकती थी । और मिस्र के श्रमिकों ने महान पिरामिड का निर्माण किया । खुफु का पिरामिड उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी । जैसे - जैसे  जनसंख्या बढ़ी, वैसे वैसे शहर भी बढ़े । 2000 ई. पु. तक , थेब्स मिस्र का सबसे बड़ा शहर बन गया था । अपने चरम पर, इसकी आबादी 120000 थी । खेती अब दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गई थी । चीन और आईबेरिया से होते हुए अंततः यह उत्तरी यूरोप तक पहुंच गया । पूर्व में महान सभ्यता के साथ साथ यह उत्तरी यूरोपीय सभ्यता का शिखर था । 2500 ई. पु. स्टोनहेंज का निर्माण दक्षिणी इंग्लैंड में किया गया था, हम अभी भी नहीं जानते की इसका निर्माण कैसे हुआ था। संभवतः इसका कोई, धार्मिक कार्य था । इसी तरह के स्मारक पूरे यूरोप(फ्रांस , ब्रिटेन, स्पेन ) में बनाए गए थे ।

मेसोपोटामिया - 3000 ई. पु. : एक नई तरह की सामग्री विकसित की गई थी । कांस्य, कांस्य युग की शुरुआत का प्रतीक है। उसी समय- मानव जाति लिखना शुरू करती है ।
लेखन ने वाणिज्य और वित्त का दस्तावेजीकरण करना संभव बना दिया ।




 




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🌍 विश्व इतिहास एक नए नज़रिए से
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विश्व इतिहास: एक नए नजरिए से (World history: From A New Perspective ) खंड1:प्राचीन विश्व किसी भी विषय का अध्ययन करने से पूर्व, श्रेयस्कर कार्य यही है की उस विषय की परिभाषा और उसका अभिप्राय पाठक के समक्ष पूर्णतया स्पष्ट हो | अतएव, आइए हम सर्वप्रथम यह परिभाषा करें की इतिहास क्या है?पश्चिमी भाषाओं में हिस्ट्री( इतिहास)शब्द ग्रीक भाषा के `हिस्टोरिया' शब्द से व्युत्पन्न है जिसका अर्थ`जांच-पड़ताल है' ज्ञान की किसी भी शाखा के लिए यह जांच - पड़ताल सामान्य बात है | तथ्य यह है की जबसे किसी भी शिशु का जन्म होता है, तब से वह संसार की बहुत सी बातों के बारे में जानने को उत्सुक रहता है, किंतु उस कारण से यह तो नहीं कहा जा सकता ना की वह शिशु उस विद्या से इतिहास का अध्ययन कर रहा है| |मुझे यह पुस्तक लिखते हुए अतिप्रसन्नता हो रही है की पाठक जनों को एक बिल्कुल नए नज़रिए से विश्व के इतिहास को समझने और जानने में सहायता होगी | अतः आप लोगों से मेरा अनुरोध है की आप पूरे खण्ड को अलग अलग समयों पर अवश्य पढें। यह कहानी दुनिया के इतिहास को बिल्कुल नए तरीके से बताती है: विभिन्न पुस्तकों ,ग्लैडिएटर,अलेक्जेंडर और लिंकन, विकिंग्स और भाइयों के बैंड की कहानी के साथ-यह एक ऐतिहासिक कहानी है जो आपने पहले कभी देखी किसी भी चीज़ से भिन्न है। विश्व इतिहास: एक नए नजरिए से पुस्तक में कुल २खंड शामिल होंगे, प्रत्येक को पांच भागों में विभाजित किया जाएगा परन्तु यह प्रथम खंड है जिसके अंतर्गत ५.भागों में इन्हें बांटा गया है - 1.प्राचीन विश्व(10,000BC-323BC) a.पहली सभ्यता(first civilization) b.प्राचीनकाल संबंधी(classical greece) 2.सामाराज्यों का दौर(300BC-180AD) a.रोमन गणराज्य,मौर्य भारत और किन चीन(roman republic b.रोमन साम्राज्य(roman empire) 3.उतार-चढ़ाव(30AD-476AD) a.ईसाई धर्म का उदय(rise of christianity) b.रोमन साम्राज्य का पतन( the fall of roman empire) 4.अंधकार युग (476AD-1066AD) a.देर से पुरातनता( late antiquity) b.समुद्री लुटेरों का युग(the Vikings age) 5. राजाओं का युग(1066AD- 1492AD) a. उच्च मध्य युग (the high middle ages) b.देर से मध्य युग(the late middle ages)