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याेग याेग सब कोई कहे, योग न जाने कोई! अर्ध धार उर्ध्व को चले, योग कहावे सोय!! याेग कहत है जोड़ काे, याेग कहत है संधि। योग रहस्य उपाय में, जीव ब्रह्म की संधि!! इंगला पिंगला सुषुम्ना, तीनों को कर सम! मन व पवन एक संग रहे, सहज याेग वे सम!! सहज पलहथी मार कर, सहज याेग को साध! योग युक्ति गुरु ज्ञान में, मन व पवन को बाँध!! अंग अंग में याेग है, चक्र चक्र में याेग! कारण कारज योग है सृष्टि में प्रलय याेग!! सार - : ध्यान योग आत्मा से होता है, वाणी और मन के द्वारा नहीं। ध्यान योग अनुभव तत्व है, वाचकज्ञान नहीं। विश्व में सारे कार्य जिसके द्वारा सम्भव-सुगम-सरलता से सिद्ध हो जाते हैं, वह साधन योग है । #ध्यानयोग #dhyanyog

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