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About Rishabh Sagar

ना टुटा हु , ना झुका हु, आसमा हु , अपने ही दम पर खडा हु , ये जो अंघेरो से भी नजर आऐ, ऐसी शख्सियत है मेरी, सागर हु , अपनी ही , मोज मे बहा हु।

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Books of Rishabh Sagar

🇮🇳🇮🇳🇮🇳आजादी का रंग 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

🇮🇳🇮🇳🇮🇳आजादी का रंग 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

मित्रों, ऐक छोटीसी रचना , ऐक कोशिश उन वीरो की शहादत को नमन करते हुएँ, जिन्होंने सपना देखा भा आजाद भारत का , जिन्हें पता था वें खुद तो आजाद भारत में सांस नहीं ले पाऐंगे फिर भी आनेवाली नस्ल केलिए उनहोंने अपने जीवन का बलिदान दीया.

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🇮🇳🇮🇳🇮🇳आजादी का रंग 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

🇮🇳🇮🇳🇮🇳आजादी का रंग 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

मित्रों, ऐक छोटीसी रचना , ऐक कोशिश उन वीरो की शहादत को नमन करते हुएँ, जिन्होंने सपना देखा भा आजाद भारत का , जिन्हें पता था वें खुद तो आजाद भारत में सांस नहीं ले पाऐंगे फिर भी आनेवाली नस्ल केलिए उनहोंने अपने जीवन का बलिदान दीया.

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