स्वरचित कहानी "मेहनत"
स्वरचित कहानी "मेहनत" नीनू और मीनू नाम के दो मित्र थे।दोनों के खेत पास-पास थे। दोनों की जमीन ऐसी जगह थी जहाँ पर पानी नही था। खेत में जो भी होता था वह सिर्फ बारिश पर ही निर्भर था । मतलब सिर्फ ख़रीब की फसल ही पैदा करते थे जैसे बाजरा मक्का ,ज्वार । इसी कारण वे गरीब भी थे। दोनों पर लोगों का बहुत कर्जा था। दोनों ने अपनी अपनी जमीन पर कुआँ खोदने की सोची। और कुआँ खोदना प्रारम्भ कर दिया। दोनों एक वर्ष तक कुआँ खोदते रहे लेकिन अभी भी पानी की एक बूंद की झलक तक नही दिखाई दे रही थी। मीनू ने नीनू से बोला भाई मैं अकेला कुआँ खोदते खोदते थक गया हूँ। अब इससे आगे बलकुल भी नही खोदूँगा। और ऐसा बोलकर चला गया। लेकिन नीनू ने कुआँ खोदना लगातार जारी रखा। दों वर्ष की मेहनत के बाद उसके कुआँ में पानी की झलक देखी वह खुशी से झूम उठा। और ज्यादा मेहनत कर उसने गहरा कुआँ खोद डाला। उसकी मेहनत रंग लाई। और उसकी जमीन पर अच्छी फसल होने लगी। वह कुछ ही सालों में अमीर बन गया। मीनू गरीब का गरीब रह गया। नीनू अपने मित्र को भुला नही था। वह रोज उसके अधूरे कुँए को देखकर बहुत दुःखी होता था। मीनू की अनुमति लेकर नीनू ने मीनू के अधूरे कुँए की खुदाई करना प्रारम्भ कर दिया। कुछ दिनों की खुदाई के बाद उस कुँए की जमीन के नीचे पुराने जमाने के बेशकीमती सोने और हीरे जड़े आभूषण मिले।नीनू यह देखकर बहुत खुश हुआ। सम्पूर्ण सामान घर ले आया। वह सारी बात मीनू को बताता है और उसे उसमें से अपना आधा हिस्सा लेने को कहता है। लेकिन मीनू हिस्सा लेने से मना कर देता है। वह कहता है मित्र मैं तो इस कुँए से आश रखना ही छोड़ दिया था। यह सिर्फ तुम्हारी मेहनत और किस्मत की वजह से हुआ है। लेकिन नीनू ने उसे समझा कर आधा हिस्सा दे दिया। नीनू और मीनू अब गॉव के सबसे ज्यादा पैसे वालों में गिने जाने लगे। शिक्षा :-1. जब तक आपको अपना लक्ष्य नही मिल जाता तब तक म