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रचनाकार गद्य एवं पद्य दोनों ही रचनाओं में निपुण है

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कुछ तो बाक़ी रह गया है

कुछ तो बाक़ी रह गया है

"कुछ तो बाक़ी रह गया है" - यह शब्द हमें जीवन की अनंत संभावनाओं और अपूर्णताओं की याद दिलाते हैं। नकुल कुमार के इस रचना संग्रह में, हमें जीवन के विभिन्न रंगों और भावनाओं का अनुभव होगा। ग़ज़ल, नज़्म और शेर के माध्यम से, नकुल ने अपने अनुभवों, विचारों और

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कुछ तो बाक़ी रह गया है

कुछ तो बाक़ी रह गया है

"कुछ तो बाक़ी रह गया है" - यह शब्द हमें जीवन की अनंत संभावनाओं और अपूर्णताओं की याद दिलाते हैं। नकुल कुमार के इस रचना संग्रह में, हमें जीवन के विभिन्न रंगों और भावनाओं का अनुभव होगा। ग़ज़ल, नज़्म और शेर के माध्यम से, नकुल ने अपने अनुभवों, विचारों और

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