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कविता = भूखी चिड़िया

21 December 2024

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कविता = भुखी चिड़िया

    चिड़िया रानी की है कहानी 
पढ़ना है ये सब को जरूरी 
भूखे प्यासी निकली वह तो 
दाना वाना ढूंढ ने को 

बच्चों के पालन पोषण की 
उमंग जो रखती है वह मन में 
नीले अंबर में उड़कर 
खोज रही है खाना अब तो 

चटक धूप का सामना करके 
दूर-दूर तक दाना ढूंढे
 एक खेत में धान जो दिखे 
खुशियों की ये जगमग लहरें

चोच मार कर लेटी जब वह 
 उशसे पहले मालिक आ पहुचे 
हट - हट करके भगाया उसको
 डर के मारे उड़ गई वाह तो 

बिलख बिलक कर रोती वह तो 
 घर भी कैसे जाएगी वह 
भूख से बच्चे जो मचले
फर- फर करके खाना ढूंढे

छोटी आशा जगे फिर से
 दाल के दाने जो दिखे 
जल्दी से चुगाने वह बैठी 
फ़िर घर जाने के लिए तरसी

बच्चों को खाना खिलवाकर 
article-imageचिड़िया मां खुश हो जाती 
 मां की ममता देखकर 
कहानी अब खत्म होती . 

             ..... निकिता तिवारी ...