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कड़कती बिजलियां...

18 May 2023

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जब बेकाबू धड़कनों पर ,
चलता नहीं ज़ोर,
दहशत भी सिर चढ़ कर,
मचा देती है शोर...

डूबती सांसों को भी मिलता,
नहीं है कोई छोर,
और टूटने वाली हो नाज़ुक,
जीवन की ये डोर...

तब कड़कती हैं बिजलियां,
तो लगता है खौफ,
पेट में उड़ती हैं तितलियां, 
जो सामने हो मौत...

©IVANMAXIMUSEDWIN.
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Articles
लापता हॉरर महाकाव्य...
5.0
लापता हॉरर महाकाव्य हॉरर थ्रिलर कविताओं का अनूठा संग्रह है जो आपको केवल डराएगा ही नहीं बल्कि चौंकाएगा भी। इसमें रचित हर रचना हॉरर थ्रिलर उपन्यास डर सबको लगता है का हिस्सा है।
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मुर्दों की आवाज़...

18 May 2023
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क्यूं बीत रहा है हर लम्हा,रूठा हुआ सा बिल्कुल तन्हा,क्या इस रात की ये रुसवाई है,जो मुर्दों ने आवाज़ लगाई है...मौत का छाया हुआ है खौफ,मातम ने जमा लिया है रौब,हर नज़रों में दहशत समाई है,आज मुर्दों ने आव

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रूहों का मेला...

18 May 2023
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यहां रूहों का डेरा है,छाया घनघोर अंधेरा है, नज़र आता दूर सवेरा है ,बस वो आंखों का फेरा है...दिल की बढ़ती धड़कनों ने है दस्तक लगाई,मौत ने जब हसीना बनकर ले ली अंगड़ाई, मातम ने भी अपन

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आसान किस्तों पे लोन...

18 May 2023
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बोल उठीं सांसे,कि मन में है खौफ,मातम ने भी अपना,जमा लिया है रौब...ताकती हैं राहें,निगाहें बनकर मौत,बढ़ गई हैं धड़कने,पाके दहशत की धौंस...जम रहा है लहू,न जाने पीछे है कौन,मौत भी दे रही है,आसान किस्तों

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मिलन की घड़ी...

18 May 2023
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न जाने इस दिल में,दहशत क्यूं है समाई,बोल रहीं हैं धड़कनें,ये वक़्त बना कसाई...सांसों पर भी नहीं रहा,अब कोई ज़ोर,डर ने रूह तक है मचा,दिया है ये शोर...अब न रहा कुछ बस में,होने वाली है विदाई,आज ज़िंदगी क

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उफ़ बेचारा...

18 May 2023
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एक अर्सा बीत गया ,तकते रस्ता तुम्हारा,इन भूखी नज़रों का,तुम ही तो हो सहारा...दिल पर नहीं रहा,अब कोई बस हमारा,वक़्त भी है रूठा,करके हमें बेसहारा... इन डूबती सांसो का,छूट चुका है किनारा,मौत ने ठहाक

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मौत की दुआ...

18 May 2023
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पल दो पल की सांसे,अब और हैं बाकि,ये थमती धड़कनें,तुझे पुकारें साथी... ये बहती सर्द हवाएं,दहशत से हैं जमाती,सुर्ख लहू की धाराएं,बस डर से हैं डराती...क्यूं मौत की ये सदाएं,ज़िंदगी को हैं दर्शाती,और

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कड़कती बिजलियां...

18 May 2023
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जब बेकाबू धड़कनों पर ,चलता नहीं ज़ोर,दहशत भी सिर चढ़ कर,मचा देती है शोर...डूबती सांसों को भी मिलता,नहीं है कोई छोर,और टूटने वाली हो नाज़ुक,जीवन की ये डोर...तब कड़कती हैं बिजलियां,तो लगता है खौफ,पेट मे

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रात की अंधेरी राहें...

2 June 2023
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रात की अंधेरी राहें,फैलाए अपनी बाहें,लेने को आगोश में,भरती हैं ठंडी आहें...सहमी हुई सी सांसे,चौंकाए ये निगाहें, डराने को हक से,बदली हैं फिज़ाएं...ख़ामोशी भरी ये बातें,करतीं उल्फत के वादे,अब तो हर

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दिल है तुम्हारा...

2 June 2023
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दिल में मचती ये हलचल,करती है इक इशारा,डर जब लगता हो हर पल,मिले न कोई किनारा...सांसे भी हो चुकीं हैं बेवफ़ा,जिन पे नहीं ज़ोर हमारा,निभा रहीं देखो मौत से वफ़ा,कह के ये दिल है तुम्हारा...ज़िंदगी बीत रही

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दस्तक...

2 June 2023
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ये रातों का अंधेरा,दूर खड़ा है सवेरा,बहती ये ठंडी पुरवाई,कहती है आफ़त अाई...तेज़ चलती ये सांसे,फैलाए अपनी बाहें,कर रहीं हैं इंतजार,हर लम्हा है बेकरार...दिल भी है घबराया,जाने कौन है आया,लगा रहा है दस्त

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खौफ की मस्ती...

2 June 2023
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थमती सांसे,बढ़ती उलझन,उठती आहें,रुकती धड़कन...गुजरता लम्हा,डूबती कश्ती,फिसलता वक़्त,खौफ की मस्ती...मिलकर कर रहे हैं ये इशारा,मौत को मिल गया पता तुम्हारा...This Horror Poem Will Soon Appear In " ल

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