Meaning of ईर्ष्या द्वेष in English
- The quality of being jealous; earnest concern or solicitude; painful apprehension of rivalship in cases nearly affecting one's happiness; painful suspicion of the faithfulness of husband, wife, or lover.
Meaning of ईर्ष्या द्वेष in English
English usage of ईर्ष्या द्वेष
Synonyms of ‘ईर्ष्या द्वेष’
Antonyms of ‘ईर्ष्या द्वेष’
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- आइए हम जीवन को आसान बनाएं,
कोई भी इस दुनिया से जिंदा नहीं निकलेगा। जिस जमीन के लिए आप लड़ रहे हैं और मारने को तैयार हैं, उस जमीन को कोई छोड़ गया है, वह मर चुका है, सड़ा हुआ है, और भुला दिया गया है। तुम्हारा भी यही हाल होगा। आने वाले 150 वर्षों में, आज हम जिन वाहनों या फोनों का इस्तेमाल अपनी शेखी बघारने के लिए कर रहे हैं, उनमें से कोई भी सदैव का साथी नहीं होगा। बीको, जीवन को आसान बनाओ । बहोत खुशी होती है मन को किसी को वास्तव में खुश करने मे, करके तो देखो ।
प्रेम को आगे बढ़ने दो। आइए एक दूसरे के लिए वास्तव में खुश रहें। कोई द्वेष नहीं, कोई चुगली नहीं। कोई ईर्ष्या नहीं। कोई तुलना नहीं। जीवन कोई प्रतियोगिता नहीं है। यह हमारा सौभाग्य है जो मनुष्य का तन मिला है । दिन के अंत में, हम सभी दूसरी तरफ पारगमन करेंगे। यह सिर्फ एक सवाल है कि वहां पहले कौन पहुंचता है, लेकिन निश्चित रूप से हम सभी किसी दिन वहां जाएंगे।
ये जीवन तो बिल्कुल सरल है, इसे दुखी और कठिन हम खुद ही बना देते हैं अन्य लोगों से तुलनात्मक भाव रखकर, इर्ष्या करके । हम क्यूँ दुखी होते हैं किसी की खुशी को लेकर , किसी को सफल देखकर! लेकिन नहीं...
जिस प्रेम से हमारा जन्म हुआ है हम उसी के दुश्मन हैं । बदलो खुद को दुनिया खुद ब खुद बदल जायेगी । ये संसार तो हम ही से है । जो रवैया अभी है यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन सर्वनाश निश्चित है । समझो ना,,तुम्हे तो उपर वाले ने सोचने समझने की शक्ति तो दी है । यहाँ अत्यधिक लोग अपनी ऊर्जा का उपयोग किसी दूसरे को मिटाने मे कर रहें हैं । ऊर्जा सही दिशा में लगाओ । जरा सोचो हमारे देश में 140 करोड़ लोग हैं, यदि सभी लोग एक दिशा में चलें तो हम कहा पहुँच सकतें हैं..... सोचो और चलो..... ।
~ Author Munna Prajapati
- #poetry खुशी देखी नही जाती....
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है ।
कहीं कोई भूखा मरता है तो ,
कहीं अन्न फेकी जाती है,
कहीं गर्दन पर तलवार रखी है ,
तो कहीं गर्दन रेती जाती है,
भाई - भाई से भाई को लड़ाकर
घर भेदी जाती है ।
यहाँ अपनी तकलीफ ,मुशिबत ,
किसी और को दे दी जाती है,
यहाँ किसी और का दुःख नही ,
खुद की वफा लिखी जाती है,
कुछ सीखना है तो हारना होगा,
यहाँ हारकर ही सीखी जाती है ।
ये जिंदगी तो अब दवाओं पर चल रही है ,
मन की पहलुएं पल - पल बदल रहीं हैं,
अभी खुश, अभी द्वेष, अभी कलेश,
प्रत्येक हृदय यहाँ एक दूसरे से जल रहीं हैं ।
मन का चोट यहाँ दूसरों के
हंसी ठहाकों से सेकीं जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है,
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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