पुस्तक : दिल का लगाव (कहानियाँ)
शीर्षक : " माशुमियत "
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अक्सर मासूम और खुबशुरत दिखने वाले लोग बहुत ही घातक होतें हैं । जिस तरह से राहों में चमकती हुयी चीजें हमे अपने मंजिल का रास्ता भटकाती है । महकती हुयी चंदन की वृक्ष, जहरीले साँपों को छुपाती है । कोई भी खुबशुरता और मासूम सी दिखने वाली चीजों के करीब जाने से पहले दस बार जरूर सोच लें , शायद आपको कुछ आभास हो जाय , आपकी क्षति होने से पहले ।
सभी को मालूम है कि ज्ञानेंद्रयों को वश मे कर पाना थोड़ा कठिन कार्य है । लेकिन फिर भी हमे उन्हे वश में करने का प्रयत्न तो करना ही चाहिए , जिससे कि हमारा नुकसान होने से बच जाय ।
ये नजरें दिखाती है और हृदय को विचलित करती हैं । ये मन महशुस करता है और मस्तिष्क को आदेश देता है । ऐसी बहोत सी क्रियाएँ हैं जिन्हे ज्ञानेंद्रियों द्वारा उत्तेजित करने का काम किया जाता है । और मस्तिष्क को आदेश मिलता है परंतु आपको जब कभी कोई भी आपके ज्ञानेंद्रियों ( आँख, नाक, मुह तथा कान) से आये तो सबसे पहले आप उन बातों पर विचार करें, क्रिया से पहले, कि हमे कोई क्षति तो नही पहुुंचेगी । हो सकता है वो हमारी वजूद को ही मिटा दे ।
ऐसी बहोत सी घटनाएं हमारे आस- पास देखने को मिलती हैं । कोई इस बात पर गौर ही नही करता । सब यही कहकर टाल देतें हैं कि - " हमे क्या मालूम था के ऐसा हो जायेगा " , "किस्मत में लिखा था ऐसा होना सो हो गया " । परंतु ऐसी बात नही है इस पर विचार विमर्श करना चाहिए । हम इंसान हैं जानवर नही, हम मे सोचने- समझने की शक्ति है । हम सोच सकतें हैं ।
आकर्षित वस्तुओं को देखकर हृदय जब विचलित होता है तो सब कुछ भूल जाता है और मन को उसी आकर्षित वस्तु के तरफ मोड देता है ।
मै ऐसा भी नही केह रहा के हर एक चीज घातक होती है परंतु अधिकतम चमकती हुयी या खुबशुरत चीजें घातक ही होती हैं । इससे हमे बचना चाहिये । ऐसा भी नही कह रहा की जो दिमाग कहता है वो गलत है और जो दिल कहता है वो सही है, परंतु हमे खुद को अग्रसर करने से पहले विचार करना आवश्यक होता है ।
कहते हैं की जो कम बोलतें है उनसे बचकर रहना चाहिये । वो मन ही मन शाजिशें करते रहते है । कब क्या कर दे, कोई नहीं जनता । तो फिर जरा सोचिये जो बिल्कुल बोलता ही ना हो, उससे हमे कितना बचकर रहना चाहिये ।
चलिए मै अपने जीवन की एक ऐसी ही घटित छोटी सी घटना के विषय में बताता हूँ की किस तरह से " माशुमियत " जीवन में घातक साबित हुयी ।
एक बार की बात है । शहर के एक बाजार मे एक गली था जिसमें दोनों तरफ दुकानें थी । मै उसी गली में एक दुकान पर बैठा हुआ था । गर्मी का मौसम था । तेज़ धुप बिल्कुल कड़क मौसम था लगभग दिन का दो बज रहा था । लोग तमाम आ रहे थे - जा रहे थे । खरीदने वाले खरीद रहे थे- बेचने वाले बेच रहे थे । मेरे सामने के दुकान के दरवाजे पर एक प्यारा सा पालतू कूत्ता बैठा हुआ था । मै उसे ही देख रहा था । वह कूत्ता बहोत सुंदर दिख रहा था , एक दम मासूम जैसे कोई प्यारा सा बच्चा हो । मै उसे ही देखकर कुछ उसकी माशुमियत का बखान मन ही मन कर रहा था । प्यारा , छोटा सा मुख, छोटी- छोटी आखें, छोटी सी नाक, बहोत प्यारा लग रहा था ।
उसके बदन पर भूरे- भूरे घनेरे बाल थे मानों जैसे मखमल का रुआं लगा हो! उसे देखकर कोई भी उसके तरफ आकर्षित हो जाय । मेरा जी कर रहा था, मै सोच रहा था कि जरा सा उस कुत्ते को मै सेहला कर प्यार जता कर देखूँ!
जैसे हम कोई प्यारा सा बच्चा देखतें हैं तो जी करता है की उसे अपनी गोद मे लेकर, उसे झप्पियाँ देकर उसके तुतलाते हुए भाषा मे उससे बात करें, उससे प्यार करें । मेरा भी जी कुछ ऐसे ही मचल रहा था , उसके करीब जाने को । उस रास्ते से लोग आ रहे थे- जा रहे थे । उसी मे उसी समय एक महिला अपने पांच साल की बच्ची के साथ आ रही थी । महिला के हाथ में सफेद छतरी थी और बच्ची के हाथ मे एक छोटा सा थैला ।
गली में दुकानों के तरफ देखते हुए चले आ रहे थे तभी उस बच्ची की नजर उस कुत्ते पर पड़ी, उसने अपनी माँ को बतायी । माँ वो देखो ना कितना सुंदर पप्पी है! उन्हे वो कूत्ता बहोत प्यारा लगा । दोनो उसके करीब गए और उसे प्यार जताने लगे । नन्ही सी बच्ची उसके तरफ आकर्षित हो गयी उसने कुत्ते को गले से लगा लिया । एक क्षण में जी भर के प्रेम जताया । झप्पियाँ देकर चूमी और सहलाने लगी । कूत्ता उनके भावनाओं मे शामिल हो गया । बच्ची के बाद महिला ने भी उसे प्यार जताया और सेहलाया । कूत्ता बहोत प्यारा लग रहा था । उनके द्वारा जताये गए प्रेम को ग्रहण कर रहा था ।
वो महिला कुत्ते के मुख को जैसे ही चुमने के लिए अपने मुख को उसके मुख पर स्पर्श किया तभी अचानक क्या मालूम उस कुत्ते के मन में क्या भावना उत्पन्न हुयी । उसने उस महिला के आधे चेहरे को अपने जबड़ों से पकड़ लिया । महिला चिल्लाने लगी, उसकी बच्ची भयभीत हो उठी , कापने लगी । उस कुत्ते ने महिला के चेहरें को अपने जबड़ों से इतनी मजबूती के साथ पकड़ा था के कितना भी कोशिश की उस महिला ने छुड़ाने की, कुत्ते ने छोड़ा नही । बाजार के चारो तरफ से लोग चिल्लाते हुए उस कुत्ते को बहोत मारा उसके बाद उसने छोड़ा । महिला दर्द से चिल्लाने रोने लगी , रोड पर ही तड़पने लगी । उसका पुरा शरीर लहू - लहान हो गया । सबने उसको संभाला और एम्बुलेन्स को बुलाया गया । उस महिला को अस्पताल मे ले जाकर दर्ज किया गया । एम्बुलेन्स के आने तक महिला दर्द से चीखती चिल्लाती रही । उस महिला के जख्म को देखकर मेरा कलेजा दहल गया । उस कुत्ते की मासुमियत ने एक ऐसा जख्म दिया जो महिला के जीवन में कभी भर नही पायेगा । उसके चेहरे का सजावट ही बिगाड़ दिया । मेरा तो जी कर रहा था कि उस कुत्ते को जान से मार दूँ! परंतु चाह कर भी कुछ ना कर सका ।
संबने यही कहा - " किसको मालूम था के ऐसा हो जायेगा "
सबने एक हादशा समझ कर भुला दिया । परंतु जिसका खो गया, वो तो उसको वापस नही मिल सकता ।
" एक बार विचार जरूर कीजिये
किसी के करीब जाने से पहले " ।।
लेखक : मुन्ना प्रजापति