पुस्तक : "दिल का लगाव "
( कहानियाँ)
शीर्षक : "पापा की पगड़ी "
एक बार की बात है, एक बहोत खुबशुरत जोड़ा शादी करके अपने जीवन की शुरुआत की, बहोत खुशी से दोनो एक दूसरे के साथ रहने लगे l
सारा दिन हर मौसम में खेतों में काम किया करते थे l फसल उगाते थे और अपना जीवन यापन करते थे l एक छोटी सी झोपड़ी में उनका जीवन बहोत शुखमय व्यतीत होता था l खुशी से जीते रहे l ऐसे ही शादी के पंद्रह साल गुजर गए और उन्हे अभी तक कोई संतान की प्राप्ति नही हुयी l दोनो बहोत निराश रहने लगे l एक विवाहित स्त्री की सबसे बड़ी खुशी होती है , सबसे बड़ा धन होता है उसका संतान l समय, मौसम, लोग सबमे आधुनिकता आती गयी लेकिन उनमे कोई परिवर्तन नही हुआ l बहोत दुखी रहने लगे l
बड़ी मन्नतों के बाद, आखिरकार उनके गोद मे एक गुलाब खिल ही गया l उनके आंगन में लक्ष्मी का आगमन हुआ l एक बहोत खुबशुरत, सुशील पुत्री प्राप्त हुयी l वो झुलसा हुआ चेहरा खुशियोँ से चमक उठा l उस छोटी सी झोपड़ी में चाँद - तारे उतरने लगे हो जैसे मानो...
उस बच्ची के साथ दोनो अपनी खुशियाँ , अपना प्यार इन फ़िज़ाओं मे जाहिर करने लगे l यू हीं समय गुजरता रहा l धीरे - धीरे वक़्त के अनुसार बच्ची बड़ी होती रही और माँ - बाप बृधावस्था को प्राप्त करते रहे l लोक- जग भी आधुनिकता मे ढलता गया l दुनिया में इंटरनेट आया और लोग पुरातत्वों को भूलते चले गए l धिरे - धीरे देश इतना प्रगति किया के हम कभी सोच भी नही सकते थे l
आर्यावर्त, डीजीटल हो गया, इंटरनेट के कारण दुनिया चंद्रमा पर जाने लगी l पत्र पत्रिकाओं का समय समाप्त हो गया l लोग अपनी भावनाओं को भी अलग ही तरीके से ज़ाहिर करने लगे l मगर... रिश्ते, प्यार और प्राकृति तो नही बदल सकते, ये सब तो उपर वाले के हाथों में है l मगर इंसान चाहे तो ये भी कर सकता है , कोई बड़ी बात तो नही.....!
उन्हे उस बच्ची के बाद कोई दूसरा बच्चा नही हुआ l उन्होंने उस बच्ची को ही अपना सब कुछ मानकर अपने जीवन का सारा प्यार उस बच्ची पर ही खर्च कर दिया l यह बच्ची ही तो हमारे बृद्धवस्था का एक मात्र सहारा है l
एक छोटे से गाँव का एक छोटा सा अनपढ़ किसान अपनी कड़ी मेहनत, धूप में जलकर, कैसे भी करके उस बच्ची को उच्च शिक्षा दिलायी क्युकी दुनिया बहोत तेजी से आगे बढ़ रही थी l उसे पाल - पोशकर एक खुबशुरत और जवान लड़की बनाया l अब हमारी बच्ची शादी के योग्य हो गयी है l माता - पिता के मन में ये विचार उत्पन्न हो रहें हैं, हमे अपनी बेटी के हाथ अब पीले करने चाहिए l मन ही मन दोनों पति पत्नी उसके विवाह के विषय को लेकर विचार विमर्श करने लगे l और इसी बीच उस लड़की को किसी एक यूवक से प्रेम हो जाता है l और ये बात उसके माँ बाप को खबर नही है l
यू ही कुछ दिनों तक इनका प्रेम प्रसँग चलता रहा l और एक दिन वो हुआ जो कभी नहीं होना चाहिए था l ये लड़की उस यूवक के प्रेम मे इतना व्याकुल हो गयी के उस लड़के के साथ घर छोड़ने का फैशला कर लिया l
एक रोज वो बुरा दिन आ ही गया l आधी रात को दोनो अपने - अपने घर से निकल गए, अपनी मोहब्बत की दुनिया बसाने मगर वो भूल गए के हम जो करने जा रहें हैं वो स्वार्थ है, खुदगर्जी है l गैर जिम्मेदार, एहसान फरामोश, दोनो चल दिये अपनी राह पर सब कुछ भूलकर... l
अगले दिन शवेरा हुआ l शुबह होते ही पापा अपनी ज़ुबाँ से बेटी को आवाज लगातें हैं - मेरी प्यारी बेटी उठ जाओ शुबह हो गयी l देर तक नही सोते, जीवन में पीछे रह जाओगी बेटा,,, उठ जाओ.... l
अंदर से कोई आवाज नहीं आया l आयेगा भी कैसे बेटी तो घर के अंदर है ही नही l कुछ समय बाद.... पापा प्यार भरे कदमों से चल के आते हैं तो देखते हैं की घर में तो बच्ची है ही नही...!
उनके पाव तले जमीन खिसक गयी ऐसे मानो.... l उनके मन मे लगा की इस छोटी सी झोपड़ी से हमारी बच्ची को कोई जंगली जानवर या कोई डकैत तो नही ले गया l आखों में आशु और दिल में इस बात का खौफ लेकर चारों तरफ ढूढने लगे l घने जंगलों में तथा कटिलि झाड़ियों मे कांटे चुभ - चुभ कर उनका बदन लहू से लाल हो गया l बहोत ढूढने के बाद गाँव के एक व्यक्ति के मन मे ये विचार आया और उन्होंने उसके पिता से कहा- देखो तुम्हारी बेटी जवान है, बड़ी हो गयी है l हो सकता है वो किसी यूवक के साथ प्रेम मे आकर भाग गयी हो...!
उस व्यक्ति ने बताया कि जब बच्चे जब घर से भागते हैं जवानी में तो शादी करने के लिए रजिस्ट्रार आफिस मे जाते हैं l मेरी मानो तुम एक बार वहाँ जाकर पता लगाओ l
लड़की के मा - बाप यु ही खाली पाव दौड़ते - भागते हुए रजिस्ट्रार आफिस पहुँचे l अपनी बच्ची को एक यूवक के साथ देखा, दोनो एक बेंच पर बैठे हुए थे l आफिस में विवाह करने हेतु l बच्चे तो सब जानते थे के कैसे हमारी शादी होगी, कानूनी तौर पर l परंतु ये बात उन्हे कहा खबर थी l ये तो ठेहरे एक गाँव के अनपढ़ मामूली किसान, इन्हे कहा पता था के शादियाँ ऐसे भी की जाती हैं l उन्हे तो बस ये मालूम था के आधुनिकता है परंतु लोगों के विचार भी इस हद तक आधुनिक होंगे ये नही जाना था l अपने स्वार्थ के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकतें हैं l खुद के औलाद भी....!
पहले तो संदेह कुछ और ही था परंतु अब तो मसला हमारी सर की पगड़ी का है और समाज में हमारी इज्जत का है l
पिता उनके पास आया और बड़े नरम लहजे में कहा- बेटा तुम हमसे कहती जो भी तुम्हारे दिल मे था l ये सब करने की क्या आवश्यकता थी l बेटी बाप को वहाँ पर देखते ही भय से काप उठी... और खड़ी हो गयी, लड़का बैठा रहा वो भी खामोश हो गया l
पिता फिर कहता है - ऐसे नही करना चाहिए बेटा, चलो घर चलो... हम तुम्हारी शादी करेंगे न.... अपने रश्मो - रिवाज के साथ.... l
दोनो बच्चों की अभी यौवन की शुरुआत थी l हाल ही मे दोनो बालिंग हुए थे l यूवक डर से सर को झुका लिया था, कुछ भी नही बोल रहा था l पिता बहोत समझाया अपनी लड़की को मगर वो लाडली बेटी अपने पिता की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं.. l
पिता- हमने तुम्हे कभी डाटा क्या...,?
हमने तुम्हे प्यार नही किया है क्या....?
चलो बेटा घर, हम तुम्हारा विवाह करेंगे न..
यूवक, युवती - कोई जवाब नही...
लड़की तो उपर से मुश्कुरा रही थी उस यूवक के साथ जैसे मानो पिता कोई चुटकुला सुना रहा हो l अन्ततः पिता ने अपनी पगड़ी उतार कर लड़की के कदमो में रख दी ....! बेटा देख मेरी इज्जत तुम्हारे हाथों में है l परंतु अभी भी लड़की के चेहरे पर चमक ही है l ज़रा सी भी पश्चताप या वापस घर जाने का इरादा नही l
हजार मिन्नतें करने के बाद भी लड़की ने अपना इरादा नही बदला l आखिरकार लड़की अपने बाप की पगड़ी को भी लांघ कर चली गई l इज्जत उछाल कर चली गयी उस यूवक के साथ l
बूढ़े माँ - बाप बेजान हो गए l अब वो जीयें तो किसके लिए l बेटी नही रही, इज्जत नही रहा, क्या लेकर अपने घर वापस जायेंगे l क्या कहेंगे लोगों से...! यही के उसकी लड़की किसी के साथ भाग गयी...! नही.... दोनो ने खुद को नदी में विलीन कर दिया, खुदखुशी कर ली l मिटा दिया अपने वजूद को.... l
मै पूछना चाहता हूँ उन सबसे जो प्रेम करते हैं l क्या हमारे माँ - बाप हमे इसी के लिए पालते हैं अपने आप को तपा कर, क्या इसलिए वो हमारी हर ख्वाहिशों को पुरा करते है अपनी ख्वाहिशों को मारकर, क्या वो हमारी इसलिए खुशियोँ का खयाल करतें हैं के एक दिन वो हमारी वजह से खुद खुशी करने पर मजबूर हो जाय l क्या वो हमारे मुकम्मल भविष्य की कामना करते हैं, हमे पढाते हैं, लिखातें है, हमारी परवरिश करतें हैं ताकि हम उन्हे उनकी विद्धवस्था मे छोड़कर दूर चले जाय....
नहीं........ कभी नहीं....
लोग कहते हैं के इंसान जीवन का पहला प्यार कभी नही भूलता, तो फिर जीवन का पहला प्यार हर बच्चे को अपनी माँ से होता है जब वो इस दुनिया में आता है l फिर कैसे भूल जाता है अपनी मा को.....!
पिता अपनी कंधों पर रखकर हमे दुनिया को वहाँ तक दिखाता है जहाँ तक वो खुद नही देख सकता, फिर उस पिता को कैसे भूल जाते हैं l
हमे सबसे प्रेम करनी है और अपने फर्जों को भी अदा करनी है l जीवन में अपने फर्ज और कर्तव्य को कभी न भूलें l पिता हमे बहोत परिश्रम से पालता है और माँ हमे बहोत दर्द झेलकर पैदा करती है l
माँ - बाप को जलील करना
सबसे बड़ा गुनाह है ll
लेखक: मुन्ना प्रजापति