#lyrics #hindi कोई खुश है दील दुखाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे,
बस एक ही शवाल है जमाने में,
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने में...
दो घुट उतरे और रात गुजर जाती है
शाराब को जेहेन से लगाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे.... ।
मन का घर है जल रहा, निर बरसे
नयन, दहले आग ना बुझ पाए...
क्यु लूट गया मेरा ये चमन, सोचना
चाहे पर, कुछ ना सूझ पाए..... ।
बाग मे कोई फुल खिला ,ना
वक़्त भी लगा बिखर जाने मे...
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने मे...
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे... ... ।
ये किससे दिल को लगा बैठे, छत
झूठी दीवारों पर टिका बैठे...
खुशियों के दिन बोले थे, वो कैसे
रूठे दिन दिखा बैठे.... ।
रचित इश्क़ ना करना इस जमाने मे...
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे.....
बस एक ही शवाल है जमाने मे,
कोई क्या जाने
शुकुन मिलता है मयखाने में...
दो घुट उतरे और रात गुजर जाती है
शराब को जेहेन् से लगाने मे....
कोई खुश है बहोत इस
दिल को दुखाने मे....... ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ.प्र.)
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