#ghazal इश्क़ तो होगा महज़ ऐतबार नहीं...
ये सांस तो चलेगी दिल ए करार नहीं,
इश्क़ तो होगी मुझे महज़ ऐतबार नहीं,
मिटा दूँ खुद को इक तेरी खातिर,
ला दूँ अश्क आँखों में इतना लाचार नहीं...
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं..
पल्कों तले पाला है जिसने मुझको,
तेरी खातिर भूलूं उनको इतना बेकार नहीं...
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं...
तड़पूँ उमर भर इक बेवफा तेरी खातिर,
तेरी जिंदगी है तो मै दावेदार नहीं...
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं...
साथ छोड़ा है तूने तेरी यादें भी मिट जायेंगी,
तुझे जाना है कहीं और तो मुझे इंतजार नहीं..
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं...
अपनी हुश्न पे गुरुर है तुमको जाना,
चंद दिनों का रूप है उम्र भर का आकार नहीं....
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं...
विश्वास किया तुझपर है ये खता मेरी,
क्या गम होगा हुआ सपना साकार नहीं...
इश्क़ तो होगा मुझे महज़ ऐतबार नहीं... ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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