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- Purane Lamhe .....
- इक परी
- #lyrics #hindi गुलाम आपका हो गया....
M- आपके इन कातिल निगाहों से,
हम बच ना सके ,
दिल मेरा ,गुलाम आपका हो गया...
आपकी पल्केन् झुकी जो शरमा के,
मेरे दिल पे नाम आपका हो गया....
F- हम हुए आपके और हमारा
मुकाम आपका हो गया......
आपके इन...... दिल मेरा.....
F- जाने कैसे - कैसे ,जादू चलाये ,
मुझपर आपने,
मै जहाँ जाऊँ ,आपको पाऊँ ,जैसे
खड़े हो सामने.... २
हम सोचतें हैं रातों में, कैसे
इक अनजान हमारा हो गया....
हम हुए आपके और हमारा
मुकाम आपका हो गया....
M- आपके इन....... दिल मेरा....
M- इस प्यार के, सावन मे,एक दूजे
के बाहों मे बिखर जायेंगे,
ये गोरा बदन, जरा सा और, निखर
जायेंगे.... २
आप बस गए मेरी सासों मे,
अब तो उम्र तमाम आपका हो गया...
हम हुए आपके और हमारा
मुकाम आपका हो गया....
F- आपके इन......... दिल मेरा......
✍️ Author Munna Prajapati
#post #life #virals #songwriter #songlyrics . #love
#trend #viralpost2024 #pawansingh999
नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५
- #lyrics #hindi मेरा प्यार ना मेरा है...
मेरा प्यार ना मेरा है,
यहाँ झूटों का बसेरा है... २
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल.... ऐ दिल....
मेरा प्यार ना मेरा है.....
क्या गजब का, खेला कोई,
कुछ नहीं है, अब रह गया ।
जो भी था ,अरमा हमारा,
नजरो से , वो बह गया.... ।
हुयी शाम मगर, कोई ना सबेरा है..
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल..... ऐ दिल.....
मेरा प्यार ना मेरा है........
इक छोटा सा, तु है खिलौना,
खेलकर तुझसे, किसीने छोड़ा है ।
सांसों में बसकर, जान वो बनकर,
रूह तक मुझको, उसीने तोड़ा है ।
कैसे कोई समझे इसे, ये तो
हुश्न का घेरा है.......
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल....... ऐ दिल......
मेरा प्यार ना मेरा है......
बीत गए वो, प्यार के सावन,
आँखों में अब, बरसात है ।
खामोशियाँ है, लब पे मेरे,
सुना सा है जीवन, सुनी सी रात है ।
ना भूल पायेगा कोई, ये एहसान जो तेरा है....
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल.... ऐ दिल......
मेरा प्यार ना मेरा है......
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५
- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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