Meaning of सिर का इशारा in English
- To bend or incline the upper part, with a quick motion; as, nodding plumes.
- To incline the head with a quick motion; to make a slight bow; to make a motion of assent, of salutation, or of drowsiness, with the head; as, to nod at one.
- To be drowsy or dull; to be careless.
- To incline or bend, as the head or top; to make a motion of assent, of salutation, or of drowsiness with; as, to nod the head.
- To signify by a nod; as, to nod approbation.
- To cause to bend.
- A dropping or bending forward of the upper oart or top of anything.
- A quick or slight downward or forward motion of the head, in assent, in familiar salutation, in drowsiness, or in giving a signal, or a command.
- The act of nodding.
- A very small libratory motion of the earth's axis, by which its inclination to the plane of the ecliptic is constantly varying by a small amount.
- The motion of a flower in following the apparent movement of the sun, from the east in the morning to the west in the evening.
- Circumnutation.
Meaning of सिर का इशारा in English
English usage of सिर का इशारा
Synonyms of ‘सिर का इशारा’
Antonyms of ‘सिर का इशारा’
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- #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
#post #virals #love #sadness #new #sad #sadlife
- प्राकृतिक आपदाओं का कारण और हम)
- #poetry शिर्षक "गुजर रहा है अब मोहब्बत का जमाना "
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई....
झूठा साबित हो रहा है, अब तो प्रेम का पैमाना,
अब रिश्तों मे बगैर मुनाफे के,
कोई सीन नही करेगा कोई ।।
ये पीढ़ी आखिरी थी, दिल को दुखा लिया हमने,
अपने आखों के आँशु, आँखों मे ही सुखा लिया हमने,
अब तो लोग जिश्म से खेलेंगे और चलते बनेंगे...
जो जल रहा था चराग़, आशियाने मे,
अब तो उसे भी बुझा लिया हमने ।
गर जिंदा रहा तो देखूंगा, तुम्हारे बच्चों का कारनामा.. ...
यकीन मानो मर्द का,हर रात रंगीन करेगा कोई....
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई.. ।।
तुम देखना कुछ ही सालों मे,
कोई आये - जाए नही रह पायेगा मलालों मे,
हर रोज दूसरा होगा, निगाहों के इन खयालों मे,
तुम ढुंढोगे पुस्तक के पन्नों मे,
जबाब रहेगा पूछे गए शवालों मे ।
तुम डाटते रह जाओगे,
तुम सिखाते रह जाओगे..
कुछ असर नहीं करेगा तुम्हारा ताना ...
यकीन मानो तुम्हारे उसूलों का तौहीन करेगा कोई...
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई.. ।।
इश्क़ नही, जिश्म की चाहत पूरी की जायेगी,
नये जमाने के नाम पर, हर कहानी अधूरी की जायेगी,
अपनापन मिट जायेगा, रिश्तों की अहमियत मे दूरी की जायेगी,
ना चाहते हुए भी, कुछ अजीब
चरित्रों की मंजूरी दी जायेगी ।
खत्म होगा मोहब्बत करने और निभाने का अफसाना...
यकीन मानो उम्र से पहले मिलकर,
खुद को हसीन करेगा कोई....
अब तो गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नहीं करेगा कोई.. ।।
✍️ Author Munna Prajapati
#post #love #life #view #virals #Real #truth #new #future #writes #writing
- बहोत खूबशुरत पुस्तक "आँखो कि गुशताखिया"... मे लीखने का श्रेय मिला l आप सभी का धन्यवाद 🙏✅💕#successquotes
- प्लास्टिक पाउच का दूध एक धीमा जहर
- धर्म का गीत
- #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
#post #positivity #PostViral #poem #realtalk #reallife #public #truth #writer #life #virals
- भैंस की मौत* 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह👌
- श्राद्ध पक्ष में पाँच ग्रास निकालने का महत्त्व
- #lyrics #ghazal कहीं खो गया मै....
ना रहा मेरा कोई खबर,
नहीं था झुकाना निगाह मगर,
मै तो सो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... .. हाँ...
चलता रहा देखकर उसकी तरफ,
अंजाना ना जाना ये मुझे मगर,
जाने क्या हो गया....
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ....
देखता रहा मै शौख हुश्न चमन,
हसीन है ऐसी राह मगर,
सब कुछ लूट गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया..... हाँ...
किनारों से कब बीच में पहुँचा,
खिचता रहा अपनी ओर लहर,
मै तो जल तल का हो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ...
✍️ Author Munna Prajapati
#sadness #writer #PostViral #love #virals #songlyrics #song #heart #life
नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेकर, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 078978 68625
- आज जाकर सफल हुआ पुस्तक : The professional Love (पेशेवर इश्क़) का प्रकाशन कार्य l श्रेय प्राप्त हुआ l आप सभी का दिल से धन्यवाद🙏🙏 #author
- मौसम का मजा
- हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यासकार, कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का योगदान
- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
#PostViral #healthy #Risky #life #lifestyle #bad #harmful #mobiles #network
#virals
- यदि समय मे आपको पीछे जाने का अवसर मिटे तो आप क्या बदलना चाहेंगे?
- #poetry कितना अजीब है, मेरा मेहबूब,
कांटे लगाकर कहता है गुलाब आयेंगे,
चुल्लू भर पानी में शैलाब आयेंगे,
बिछड़कर मुझसे केहता है याद आयेंगे,
बरस रहा है मोहब्बत का सावन और
वो केहता है मौसम के बाद आयेंगे ।।
वक़्त गुजार रही हूँ तन्हाइयों मे,
मेरा हैंडर्ड मुस्कुराता हुआ कहता है
और अतायेंगे...
मिलना है कहकर मिलने नही आयेंगे ।।
इस कदर हम याद तुझको आयेंगे
तेरे जिशम् के रग रग में बस जायेंगे,
गर जुदा करना चाहा खुदसे मुझको,
जायेंगे तुमसे दूर मगर
जिस्म से रूह जस जायेंगे ।।
कोई जबाब नही देता मेरे खत का
कहता है बस... यही ज्ञान आयेंगे,
कांटे लगाकर केहता है गुलब् आयेंगे,
चुल्लू भर पानी में शैलाब आयेंगे ।।
✍️ Author Munna Prajapati
#post #poem #writer #sad #virals #new #love #life #poetrylovers
- रुक्मिणी हरण का आध्यात्मिक पक्ष
- #poetry हम लोगों को सुधारने निकले...
लोगों को सुधारने निकले थे,
हम खुद ही बिगड़ के रह गए,
जल शैलाव आया, सब डूब रहे थे,
हम लोगों को बचाने निकले,
किसी को किनारे पे लाकर छोड़ा,
खुद ही बह गए ।
जो बात हम जुबान पर लाने में भी,
सोचते थे, वो बात , वो हमसे,
बगैर हिच किचाहट के कह गए ।
क्या गजब का जहर था,
सुनकर जुबानी उनकी, हम तो
खड़े के खड़े ही रह गए ।
अज्ञानता का अंधकार मन मे ,
पनप रहा था, हम सवारने चले,
खुद अज्ञानी बन के रह गए ।
हमने सिखायी ईमानदारी, कहा गए,
लोग बेईमानी पे उतर गए ।
लोग बाग सब बिगड़े, हमने सोचा
के लोग अब सुधर गए ।
लोगों को सुधारने निकले थे,
हम खुद ही बिगड़ के रह गए ।
~ Munna Prajapati
#truth #life #virals #sad #post #writer #writing #love #poetrylovers #poem
- #poetry " कोई साथ चलने वाला नहीं "
दर्द मे दिलाशा हर कोई देता है मगर,
साथ देने वाला कोई नहीं ।
आज समय अच्छा चल रहा है,
मौज है, खुशी है, हर कोई साथ है, अपना है,
बुरे वक़्त मे कोई साथ चलने वाला नहीं ।
लोग हाथ थामते हैं उम्र भर के लिए,
मगर वो भी कब छोड़ दे,
कोई कहने वाला नहीं ।
मै तो कहता हूँ दोस्त, खुशियोँ मे उसे,
उसे बुलाओ ही नही जो साथ
हर गम सहने वाला नहीं ।
क्या शामी, क्या शिखर और क्या हार्दिक
पांड्या, यार जो पैसा और सफलता का
चाह रखता हो वह...
किसी के साथ रहने वाला नहीं ।
उसे तो केवल ऐसो आराम चाहिए,
उसे तुम्हारे गम में, उदास चेहरे लेकर,
सहने वाला नहीं..... ।
आप रुक सकते हो, उतर सकते हो,
रिश्तों का मोड़ देखकर मगर..
वह हरगिज उतरने वाला नहीं ।
✍️ Author Munna Prajapati #virals #life #reality #beocken #sad #poem #hindi #lovestory #loveyou #writer #writing
- आम का पेड़
- दंत पुंज का मधु मुस्कान
- #poetry " दोस्तों के साथ की जिंदगी "
ओहो.. कैसे थे हम... और कैसे हो गए,
वो वक़्त अब शायद...कहीं खो गए,
वक़्त बीते और हम बिछड़े...
उड़ गए कहीं हमारी खुशियोँ के चिथड़े ।
कैसे मिलकर हम शोर मचाया करते थे,
ये मेरी है, वो तेरी है.. कहकर...
एक दूसरे को रिझाया करते थे,
कड़क सर्दी और कड़क धुप मे साथ
पढ़ने जाया करते थे...
कोई छोटा कोई बड़ा नही, एक ही
थाली मे खाया करते थे... ।
किसी की शादी हो गयी तो
कोई कवारा है...
कोई जिम्मेदारियों से जूझ रहा
तो कोई गलियों का आवारा है,
कोई बन गया शाहब तो कोई
बेरोजगारी का मारा है... ।
दूर हो मजबूर हो मगर, ये दोस्ती
दिल मे कायम रखना,
कभी तो मिलेंगे किसी मोड़ पर,
सोचना, जगना और राह तकना,
कितने जागे और कितने सो गए,
जगह बदला और समय बदला,
जो हमारे थे, वो किसी और के हो गए ।
~ ऑथोर मुन्ना प्रजापति
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- #poetry शीर्षक : "बड़ी अजीब है ये तेरी बेवफ़ायी भी "
बड़ी अजीब है ये तेरी रुस्वायी भी,
जितना भूलना चाहा याद उतनी आयी है,
क्या होती है प्रीतम की जुदायी भी,
जब बिछड़े तो समझ आयी है,
चाहे कोई किसी को कितना भी,
ये मोहब्बत काहा किसी को नजर आयी है,
ना मिला मुकम्मल इश्क़ मुझे भी,
उम्र गुजरी तब इस दिल को सबर आयी है,
पुकारता है कोई इश्क़ का मारा आज भी,
जहाँ निगाहें दीदार को तरस आयी है ,
किसी का प्यार इंतजार ही रहा,
नही आया वो ये आँखें बरस आयी है,
सच्चे इश्क़ के बदले आँशु दे गया,
क्या कीमत मेरे प्रीत की लगायी है,
मै लबों से गुनगुना भी नही सकता,
जो प्रेम गीत तुने मुझसे लिखवायी है,
आखिरी साँस तक मेरी होकर रहेगी,
तुझसे अच्छी तो ये तन्हायी है,
अब ये जुदा नही है मुझसे,
तेरे बाद मैने इसे ही अपनायी है ,
बड़ी अजीब है ये तेरी बेवफायी भी,
जितना भूलना चाहा याद उतनी आयी है ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
#life #virals #writer #hindi #poem #poetrylovers #poets #poetrycommunity #writing #feeling
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