Meaning of कम देखनेवाला in English
- Having defective sight; dim-sighted; purblind.
Meaning of कम देखनेवाला in English
English usage of कम देखनेवाला
Synonyms of ‘कम देखनेवाला’
Antonyms of ‘कम देखनेवाला’
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- गलत लोगों का साथ रहना, बहोत हानिकारक है, ख्याल करें :-
मैं आपसे दिल की बात करूंगा। वो बात जो शायद आप सुनना नहीं चाहते, पर जो सच है।
जानते हो, जिंदगी एक सफर है। और इस सफर में हमारे साथी कौन हैं, ये बहुत मायने रखता है।
मुझे याद है, मेरा एक दोस्त था - अमन ( कल्पनिक नाम)। कितना होशियार था वो। लेकिन फिर क्या हुआ? गलत दोस्तों के चक्कर में फंस गया। धीरे-धीरे नशे की गिरफ्त में आ गया। आज जब उसे देखता हूं तो दिल दुखता है। वो चमकती आंखें अब खाली सी हो गई हैं।
फिर सोनू की कहानी है ( मैने कहीं पढ़ा है )। प्यार में अंधा होकर एक ऐसी लड़की से शादी कर ली जो उसे समझती ही नहीं थी। आज वो घर में रहता है, पर अकेला महसूस करता है। उसकी मुस्कुराहट कहीं खो गई है।
और रीना (यह उदाहरण ली गई है )? उसने अपने माता-पिता की बात मानकर एक ऐसे शख्स से शादी कर ली जो उसे पसंद ही नहीं था। आज वो जिंदा है, पर जी नहीं रही।
मैं ये सब देखकर सोचता हूं - क्यों हम अपनी जिंदगी को इतना कम आंकते हैं? क्यों हम गलत लोगों को इतनी अहमियत देते हैं?
दोस्तो, समझो। गलत लोग सिर्फ हमारा वक्त ही नहीं बर्बाद करते, वे हमारी रूह को भी तोड़ देते हैं। वे हमारे सपनों को कुचल देते हैं। हमारी हंसी छीन लेते हैं।
लेकिन याद रखो, अभी भी देर नहीं हुई है। अगर आप गलत लोगों से घिरे हुए हैं, तो बाहर निकलने की हिम्मत जुटाओ। हां, मुश्किल होगा। दर्द होगा। लेकिन ये दर्द उस दर्द से कम होगा जो आप अपनी पूरी जिंदगी गलत लोगों के साथ रहकर झेलोगे।
अपने आप से प्यार करो। अपने सपनों को अहमियत दो। सही लोगों को अपनी जिंदगी में जगह दो। वो लोग जो आपको ऊपर उठाएं, आपको प्रेरित करें, आपकी खुशियों में खुश हों।
क्योंकि अंत में, जिंदगी बहुत छोटी है। इसे उन लोगों के साथ जियो जो इसे खूबसूरत बनाते हैं, न कि बर्बाद करते हैं।
माँ बाप को भी अपने बच्चों के प्रति विचार करने का आग्रह करता हूँ । जो अपने बच्चों को पुराने उसूलों पर चलाते हैं और अपने अनुसार उनके भविष्य को निश्चित करना चाहते हैं ।
नही ऐसा क्यूँ होगा कोई, हर एक इंसान अलग अलग खूबियों से सुसज्जित है उसे अपने खूबियों पर काम करने दीजिये, वो एक दिन सर्वश्रेष्ठ साबित होगा ।
अगर आप मे काबिलियत है और आप उस जगह पर नहीं हैं तो क्यूँ नही हो! सोचो तुम्हे वही पर होना है, अगर तुम कहीं और हो तो क्यूँ!
तुम कभी सफल नही होंगे । जीवन भर संघर्ष ही संघर्ष रहेगा । कभी दिल को खुशी नही मिल सकती ।
ख्याल करो, सोचो और जो हुनर तुम मे है उसके साथ आगे बढ़ो । जो लगे की तुम्हारे लिए सही नही है, उससे खुद को किनारा कर लो । दूर हो जाओ । संगत का प्रभाव इंसान को ले डूबता है कहीं का नही छोड़ता । ये मेरी बातें कहीं लिख लेना और जीवन भर याद रखना ।
मै उतना बड़ा ज्ञानी तो नही परंतु जो मन में आया मैने समझाने की कोशिश की है अब आगे आपकी इच्छा । धन्यवाद🙏
✍️ Author Munna Prajapati
- शवाल है आपसे, जो मन मे आये
जबाब जरूर लिखियेगा 🙏 :-
(०१) शवाल: क्या हम किसी स्त्री से प्रेम करतें है या
उसके निजी अंगों से ???
जबाब : ...........
(०२) शवाल: यदि आप कीसी स्त्री से ही प्रेम करतें हैं
उसके निजी अंगों को लेकर नही... तो
ये एहसास और समझ कब हुआ आपको ??
जबाब : ............
(०३) शवाल: आपने अपने जीवन मे
जिम्मेदारियों को कब समझा????
जबाब : .............
(०४) शवाल: आप समझते थे की आप सब जानतें हैं, परंतु
आप बहुत कुछ नहीं जानते हैं, ये एहसास
आपको कब और कैसे हुआ????
जबाब : ...............
(०५) शवाल: परिवारिक झमेल हो , (जैसे आज कल
शादी के बाद परिवार मे ,रिश्तों मे प्रेम कम हो रहा है ,
परिवार बिखर जा रहा है )
तो क्या एक लड़के को विवाह करना ठीक रहेगा?
जबाब : ................
~ मुन्ना प्रजापति
नोट : समय लेकर सोच कर जबाब जरूर लिखिये ।
मुझे इंतजार रहेगा आपके उत्तर का ।🙏
- #poetry क्यूँ करूँ आखिर..
शायद याद रहूँगा किस्सों मे,
मुझे नही बटना हिस्सों में,
मै विवाह क्यूँ करूँ आखिर...
जिसने किया वो मर रहा है किस्त्तों मे.... ।
शुकुन है किसी की यादों में,
जुनून है किसी की वादों मे,
मै किसी से जाहिर क्यूँ करूँ आखिर....
जिसने किया वो कमजोर पड़ गया रिश्तों में... ।
हमसफ़र का सफर से कोई मतलब नहीं,
इश्क़, एहतराम करे इसका कोई तलब नहीं,
मै लिबाह् क्यूँ करूँ आखिर....
जिसने किया वो कट रहा है पीसों मे.. ।
जख्म है, दर्द है, मेरे भी सीने मे,
कमी क्यूँ करूँ मै, अपनी जिंदगी जीने मे,
मै आह क्यूँ भरूँ आखिर.....
जिसने भरी वो तड़प रहा है,
देखकर खुद को सीसों मे..... ।
सबको वक़्त दिया, अपनी जिंदगी का,
कभी गौर नहीं किया, अपनी खुशी का,
रिश्तों का बाजार क्यूँ करूँ आखिर....
जिसने किया, क्या वो आ गया फरिश्तों मे... ।
क्या फर्क पड़ता है ,किसी का होना ना होना है,
जब नीलाम अपनों के बीच होना है,
जब गुमनाम अपनों के बीच होना है,
मै खुद का दाम कम क्यूँ करूँ आखिर....
जिसने किया , क्या वो गए उपर के लिस्टों मे.... ।
शायद याद रहूँगा किस्सों मे,
मुझे नही बटना हिस्सों में,
मै विवाह क्यूँ करूँ आखिर...... ।
~ मुन्ना प्रजापति
#lyrics #truth . #sadness #virals #writer #life #poem #poetrylovers #poets #PostViral #poetrycommunity
नोट: कृपया टेक्स्ट कॉपी - पेस्ट ना करे...
Share direct with your fillings... 🙏
- #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
#post #positivity #PostViral #poem #realtalk #reallife #public #truth #writer #life #virals
- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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